________________
१०
४८. बिना कारण विरेचन (जुलाब) लेना ।
४९. बिना कारण आंखों में कज्जल-सुरमा आदि डालना ।
५०. विभूषा के लिए दतौन व दन्तमञ्जनादि से दांतों को साफ करना ।
५१. गात्राभ्यंग - बिना कारण शरीर के तेल आदि की मालिश करना । ५२. शरीर की विभूषा करना। (सुन्दर परिधान अलंकार शरीर की साज-सज्जा आदि विभूषा है) ।
Jain Education International
साध्वाचार के सूत्र
For Private & Personal Use Only
G
www.jainelibrary.org