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साध्वाचार के सूत्र चलना परमावश्यक है। अच्छी तरह नहीं पूंजने वाले साधु के संयम में
असमाधि उत्पन्न हो जाती है।' व्रश्न २२. साधु कितने प्रकार के रजोहरण रख सकते हैं? उत्तर-पांच प्रकार के रजोहरण रख सकते हैं-१. ऊन के २. ऊंट के रोम के ३.
सण के ४. नरम घास के ५. कूटी हुई मूंज के। प्रश्न २३. रजोहरण के विषय में और क्या जानने योग्य है ? उत्तर-रजोहरण बहुमूल्य नहीं रखना चाहिए। उसकी दशाएं (तारें) अधिक पतली
(जिसमें फंसकर जीव मर जाए) नहीं बनानी चाहिए। उसके ऊपर न बैठना चाहिए एवं न उसे सिर के नीचे रखकर सोना चाहिए। (जीव हिंसा की संभावना है)। प्रमाण से अधिक रजोहरण न रखना चाहिए (एक साधु एक रख सकता है) तथा रजोहरण की दंडी पर वस्त्र लपेटकर रखना
चाहिए, खुल्ली दंडी का रजोहरण नहीं रखना चाहिए।" प्रश्न २४. साधुओं के उपकरणों का विवेचन कीजिए? उत्तर-शास्त्रों में उपकरणों के नाम इस प्रकार मिलते हैं-प्रतिग्रह–पात्र, पात्रबंध
झोली, पात्रकेसरिक-पात्र पोंछने का वस्त्र, पात्र स्थापन–पात्र रखने का पाटला या मांडलिया, तीनपटल-गोचरी के समय पात्रों पर रखने के तीन वस्त्रखंड, रजस्त्राण-पात्र ढंकने का वस्त्र (रसतान), गोच्छक-पात्रादि साफ करने का वस्त्र', तीनप्रच्छादक-ओढ़ने की तीन चद्दरें, रजोहरणओघा, चोलपट्टक–पहनने की धोती, मुखवस्त्रिका मुंह पर रखने का वस्त्र (प्रश्नव्याकरण १०/७), गलना-जल छानने का, दण्ड तथा लकड़ी (कल्पसूत्र) सूत की डोरी, रज्जू-सण की रस्सी, चिलमिली-वस्त्र का पर्दा (निशीथ १/१४)। कम्बल, पाद-प्रोच्छन, पीठ-बाजोट, फलकसोने का पट्टा, शय्या-संथारा (तृण आदि का) दशवै. अ. ४)। साध्वियां
चार संघाटी (चदरे) रख सकती है। प्रश्न २५. क्या स्थविर साधु विशेष उपकरण रख सकते है ? उत्तर-हां, स्थविरों के लिये विशेष उपकरण-१. दंड, २.भण्ड (उच्चारादिनिमित्त
पात्र), ३. छत्र (कंबलादिक),४.मात्रक-लघुशंकानिमित्त पात्र,५. लष्टिक
१. (क) समवाओ १०/१
(ख) दसाओ १/३ २. (क) स्थानां ५/३/१९१
(ख) बृहत्कल्प २/२६
३. निशीथ ५/६८ से ७८ ४. निशीथ २/१ ५. उत्तरा. २६/८ ६. ओघ नियुक्ति ६७४-६७७
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