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पात्र आदि भण्ड उपकरण प्रकरण
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पीठ-पीछे रखने का, ६. भिसिक स्वाध्यायार्थ पाटला, ७. चेल-मस्तक बांधने का वस्त्र। ८. चेलचिलमिली-वस्त्र का पर्दा । ९. चर्म-पांव बांधने के लिये। १०. चर्मकोष-चर्म की कोथली (गुह्य रोगादि के लिये)। ११.
चर्मखण्ड। प्रश्न २७. पांच समितियां क्या हैं? उत्तर-समिति का अर्थ है-सम्यक् प्रकार से प्रवृत्ति, पाप रहित (निरवद्य)
प्रवृत्ति। समितियां पांच हैं–१. ईर्ष्या समिति- शरीर प्रमाण भूमि को देखकर मौनपूर्वक चलना। २. भाषा समिति–विचारपूर्वक बोलना। ३. एषणा समिति- शुद्ध भोजन-पानी का अन्वेषण करना। ४. आदानभण्डमत्त निक्षेप समिति-वस्त्र, पात्र आदि सम्यक् प्रकार से लेना व रखना। ५. उच्चार पासवण खेलजल्लसिंघाणपरिट्रावणिया समितिमलमूत्र आदि विधिपूर्वक विसर्जन करना। अभी ये शौच से निवृत्त होने के लिए जा रहे हैं। यह इनकी पांचवीं समिति है। पांचवीं समिति बोलचाल
में पंचमी समिति कही जाती है। प्रश्न २८. बिना आज्ञा के किसी स्थान पर पंचमी समिति का कार्य करना
क्या चोरी नहीं है ? उत्तर-हां, आज्ञा के बिना किसी के स्थान को काम में लेना चोरी है। यदि स्थान
का मालिक हो तो उनकी आज्ञा लेते हैं, मालिक ज्ञात न हो तो ___ 'अणुजाणह जस्स उग्गह' कहकर दिक्पाल (देवता) की आज्ञा लेते हैं। प्रश्न २६. क्या साधु वर्षा में भी शौच जा सकता है? उत्तर-हां, वर्षा में साधु शौच जा सकता है। प्रश्न ३०. पानी में जीव हैं तो वर्षा में शौच जाना क्या हिंसा नहीं है? उत्तर-शौच जाना आवश्यक है। शरीर का अनिवार्य कार्य है इसलिए उसे रोका
नहीं जा सकता। इसीलिए वर्षा में भी शौच जाने का विधान है। प्रश्न ३२. मखवस्त्रिका क्यों बांधी जाती हैं? उत्तर-अहिंसा की सूक्ष्म साधना के लिए। प्रश्न ३३. इसका अहिंसा से क्या संबंध हैं ? उत्तर-जैन धर्म वनस्पति (हरियाली) की तरह वायु को भी सजीव मानता है।
खुले मुंह बोलने से बाहर की वायु के जीवों की हिंसा होती हैं, इसलिए १. व्यवहार ८/५
३. ओघनियुक्ति ७१२ २. उत्तरा. २४
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