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२२. वस्त्र और प्रतिलेखन प्रकरण
प्रश्न १. साधु वस्त्र क्यों पहनते हैं? उत्तर-स्थविरकल्पिक साधु तीन कारणों से वस्त्र पहनते हैं-संयम-लज्जा की रक्षा
के लिए, लोगों की घृणा से बचने के लिए तथा शीत-उष्ण एवं दंश
मशकादि के परीषह से आत्मरक्षा करने के लिए। प्रश्न २. साधु कितने प्रकार के वस्त्र ले सकते हैं? उत्तर-पांच प्रकार के वस्त्र ले सकते हैं एवं पहन सकते हैं। यथा-१.
जांगमिक त्रस जीवों के रोम आदि से बने हुए कम्बल आदि ऊनी वस्त्र। २. भांगिक-कीड़ों की लार से बने हए रेशमी वस्त्र। ३. सानिक सणअम्बाड़ी आदि से बने हुए वस्त्र। ४. पोतिक-कपास के (सूती) वस्त्र ।
५. तिरीड़पट्ट–तिरीड़-वृक्ष की छाल से बने हुए वस्त्र। प्रश्न ३. क्या साधु रात को वस्त्र जांच सकते हैं? उत्तर-गृहस्थ के हाथ से दिन में ही वस्त्र जाचने की विधि है। रात के समय
जाचने की मनाही है किन्तु साधुओं के वस्त्र यदि चोर ले जाए एवं रात __ को वापस देना चाहे तो वह रात को भी लिया जा सकता है। प्रश्न ४. क्या साधु चातुर्मास में वस्त्र जांच सकते हैं? उत्तर-सामान्यतया नहीं जांच सकते। जांचने से प्रायश्चित्त आता है किन्तु चोरी
हो जाय, वस्त्र अग्नि में जल जाय या साधु के शरीर में कुष्ठ आदि कोई भयंकर रोग उत्पन्न हो जाय, जिसमें वस्त्र की विशेष आवश्यकता हो,
ऐसी परिस्थिति में चातुर्मास के समय वस्त्र जांचने की परम्परा है। प्रश्न ५. साधु-साध्वी वस्त्र जांचने के लिए कितनी दूर जा सकते हैं? उत्तर-दो कोस तक इससे आगे जाएं तो उस दिन वापस नहीं आना चाहिए।
१. स्थानां. ३/३/३४७ २. (क) स्थानां. ५/३/१६०
(ख) बृहत्कल्प २/२८
३. बृहत्कल्प १/४३ ४. निशीथ १०/४१ ५. आ. श्रु. २ अ. ५ उ. १/४
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