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साध्वाचार के सूत्र
प्रश्न ६. क्या साधु डॉक्टरों से दवा ले सकते हैं? उत्तर-लेने योग्य (जिसमें मांस-अंडा आदि अभक्ष्य वस्तु न हो) दवा डॉक्टर,
दवा-विक्रेता, वैद्य या हकीम यदि रोटी की तरह धर्मभावना से मुफ्त में दें तो ले सकते हैं लेकिन दवा की कीमत (पैसे) मांगते हो तो नहीं ले
सकते। अपवाद वश लेने का काम पड़े तब प्रायश्चित्त लेना पड़ता है। प्रश्न ७. क्या साधु औषधालयों से दवा ले सकते हैं? उत्तर-जो औषधालय धर्मार्थ चलाए जाते हैं, उनसे साधु दवा नहीं ले सकते
क्योंकि दानार्थ-पुण्यार्थ बनाई हुई वस्तु लेने का निषेध है।' प्रश्न ८. उत्सर्ग मार्ग एवं अपवाद मार्ग से क्या तात्पर्य है? उत्तर-उत्सर्ग मार्ग अर्थात् सामान्य विधि अपवाद मार्ग अर्थात् विशेष विधि ।
जैसे-गोचरी के लिए गया हुआ मुनि गृहस्थ के घर में बैठे नहीं यह उत्सर्ग मार्ग है। यह सभी के लिए सामान्य विधि है। गोयरम्ग-पविट्ठो उ, न निसीएज्ज कत्थई। कहं च न पबंधेज्जा, चिट्ठित्ताण व संजए ।। जो वृद्ध है बीमार है, तपस्वी है वे गृहस्थ के घर में बैठ भी सकते है। यह अपवाद मार्ग है। तिण्ह मन्नयरागस्स, निसेज्जा जस्स कप्पई। जराए अभिभूयस्स, वाहियस्स तवस्सियो।।
परन्तु दोनों ही मार्ग जिनाज्ञा में है। प्रश्न ६. क्या साधु चिकित्सा करवा सकता है? उत्तर-यदि चिकित्सा निरवद्य हो तो साधु करवा सकता है लेकिन जहां ऐसी
असह्य वेदना हो, जिससे आर्तध्यान होता है उसमें यदि वह सावध चिकित्सा करवाता है तो उसका प्रायश्चित्त स्वीकार करना होता है।
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३. दसवे. ६/५६
१. दसवे. ५/१/४७ २. दसवे. ५/२/८
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