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साध्वाचार के सूत्र प्रश्न ६. साधु मूल्यवान वस्त्र ले सकते हैं या नहीं? उत्तर-बाईस तीर्थंकरों के साधु बहुमूल्य रत्नकंबल आदि लेते थे लेकिन भरत
ऐरावत में वर्तमान जैन साधुओं के लिए (मृगचर्म-स्वर्णपटकूल आदि) लेने
का आगम में निषेध है। इसी प्रकार रंगीन वस्त्र लेने की भी मनाही है। प्रश्न ७. क्या साधु वस्त्र धो सकते है ? उत्तर-शोभा-विभूषा के निमित्त वस्त्र-पात्र आदि धोने का शास्त्र में निषेध है। प्रश्न ८. साधु-साध्वी कितना वस्त्र रख सकते हैं? उत्तर-सामान्यतया साधु तीन एवं साध्वियां चार पछेवड़ी (चद्दरें) रख सकती
हैं। इसके सिवा पहनने, बिछाने, पात्र बांधने-पोंछने आदि के तथा पर्दा लगाने के वस्त्रों के भी शास्त्रों में नाम मिलते हैं। वृद्ध साधु-साध्वियों को कुछ अधिक वस्त्र रखने की भी आज्ञा है। कभी वस्त्र मर्यादा से अधिक हो जाए तो साधु उसे डेढ़ मास से अधिक अपने पास नहीं रख सकते। अधिक रखने वाले को प्रायश्चित्त आता है। (आचार्यादिक की भक्ति के लिए दूर देश से लाते समय तथा अन्य कारणवश वस्त्र अधिक होने की
संभावना रहती है।) प्रश्न ६. साधु अधिक से अधिक कितना नया वस्त्र रख सकता है ? उत्तर-साधु-साध्वियां अधिक से अधिक ५९ हाथ नया वस्त्र रख सकते हैं। प्रश्न ५. स्थविर मुनि (६० वर्ष वय प्राप्त) को कितना वस्त्र रखना
कल्पता है ? उत्तर-एक सौ बीस हाथ। प्रश्न ६. क्या साधु को ५६ हाथ से अतिरिक्त कितना नया वस्त्र रखना
कल्पता है ? उत्तर-साढ़े अठारह हाथ कपड़ा-रस्तान, लूणा, मंडलिया, गलना, झोली,
पल्ला, खेलियां आदि। प्रश्न १०. साधु-साध्वियां शेष तथा चातुर्मास काल में पुराना कपड़ा कितना
रख सकते है? उत्तर–साधु शेष काल में १६ हाथ, चातुर्मास में २० हाथ। साध्वियां शेष काल
में २०, चातुर्मास में २५ हाथ ।। १. आ. श्रु. २ अ. ५ उ. १/१४, २/१४ ४. मर्यादावली चौथा प्रकरण(अ)वस्त्र ६ २. निशीथ १५/१५४
५. मर्यादावली चौथा प्रकरण(अ)वस्त्र ७ ३. आ. श्रु. २ अ. ५ उ. १/३
६. मर्यादावली चौथा प्रकरण(अ)वस्त्र ७
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