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साध्वाचार के सूत्र होते। पोदीना, धनिया आदि को पीसकर बनाई गई चटनी अचित्त है। प्रश्न ८. अष्टमी, चतुर्दशी आदि तिथियों को या सदा के लिए हरी लीलोती
का त्याग वाला व्यक्ति क्या, केला, सेव आदि खा सकता है? उत्तर-नहीं खा सकता परन्तु कोकिन केला, आगरे का पेठा, गाजरपाक, सेव
और आंवले आदि का मुरब्बा हरियाली में नहीं माना जाता। प्रश्न १०. क्या साधु सभी प्रकार की अचित्त वस्तुओं को ग्रहण कर सकते
उत्तर-नहीं। अचित्त के साथ (एषणीय) ग्रहण करने योग्य भी होनी चाहिए। प्रश्न ११. क्या साधु सचित्त को ग्रहण कर सकते हैं? उत्तर-हां ले सकते है संज्ञी मनुष्य पंचेन्द्रिय जो दीक्षित होना चाहता है उसे ले
सकते है अन्य सचित वस्तु ग्रहण नहीं कर सकते। प्रश्न १२. कौन-कौन से सचित्त के स्पर्श से हिंसा होती है? उत्तर-चार स्थावर काय के स्पर्श मात्र से हिंसा होती है। जैसे कच्चा-पानी. सब
तरह की हरियाली, बीज, (एकेन्द्रिय), नमक, कच्ची मिट्टी तथा
अग्निकाय। प्रश्न १३. पिसी हुई इलायची, काली मिर्च, जीरा, धनियां, मसाला आदि
सचित्त या अचित्त? उत्तर-अचित्त! क्योंकि बीजों के पीसे जाने पर उसमें जीव नहीं रहते किन्तु
वारीक दानों वाली पिसी हुई वस्तु जब तक छानी नहीं जाती उसमें बीज रहने की संभावना रहती है इसलिए छानने के बाद उसे प्रासुक माना जाता
है।
प्रश्न १४. बादाम की गिरी, पिस्ता, काजू, अंजीर, मुनक्का, किसमिस
आदि सचित्त है या अचित्त? उत्तर-अचित्त! क्योंकि गिरी बीज को फोड़ने पर निकलती है। इसलिए वह
अचित्त है बिदाम खोल सहित सचित्त एवं खोल रहित अचित्त है। पिस्ता काजू, कली राख, मुनक्का, अंजीर आदि अग्नि से संस्कार किए हुए होते
है। इसलिए अचित्त हैं। प्रश्न १५. साबुत बादाम का फल, बेर, खुरमाणी (जल-दारु) अचित्त है या
सचित्त? उत्तर-सचित्त है, क्योंकि वे बीज सहित होते हैं।
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