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सचित्त-अचित्त प्रकरण
प्रश्न १६. क्या लवंग अचित्त है ?
उत्तर-हां! क्योंकि वह सूखा हुआ फूल है, उसमें बीज नहीं है। टोपी वाला लोंग भी अचित्त ही है ।
प्रश्न १७. नारियल (डाब) का पानी सचित्त है या अचित्त ?
उत्तर - पानी अचित्त है। डाब सचित्त है। उसकी निकली हुई मलाई या जमीं हुई चटक भी अचित्त होती है ।
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प्रश्न १८. नींबू, मिर्च, कैरी और जमीकन्द का आचार कितने दिनों के बाद अचित्त माना जाता है ?
उत्तर-गर्म तेल में बना हुआ होने पर तीन दिन के बाद तथा जमीकन्द और पानी का आचार तीन दिन के बाद अचित्त माना जाता है। प्याज के अलग टुकड़े न किए गये हों तो उसका आचार तीन दिन के बाद भी न लें पर उसमें घृत, तैल आदि डालकर आचार किया गया हो तो वह तीन दिन के बाद लिया जा सकता है।
प्रश्न २०. क्या टमाटर का जूस भी अचित्त होता है ?
उत्तर- टमाटर उबले हुए हो अथवा उसका जूस कपड़े या छलनी से छानने पर उसमें बीज न रहे तो अचित्त हो जाता है ।
प्रश्न २१. जिस प्रकार फलों का रस, गन्ने का रस अचित्त होता है क्या उसी तरह प्याज, अदरक आदि जमीकंद (जमीन में होने वाले) का रस भी अचित्त होता है ?
उत्तर - जमीकंद का रस अचित्त नहीं होता, वह सचित्त है। गर्म होने पर या अन्य वस्तु पर्याप्त मात्रा में मिल जाने पर ही अचित्त होता है ।
प्रश्न २२. क्या अचित्त भी अकल्पनीय होता है ?
उत्तर - साधु मर्यादा के प्रतिकूल वस्तु अकल्पनीय होती है।
प्रश्न २३. पक्का (प्रासुक) पानी का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर - प्रासु यानि अचित्त । जो पानी चूना या राख से युक्त हो, वह १० मिनट बाद पक्का हो जाता है। ऐसी हमारी मान्यता एवं प्ररूपणा है ।
प्रश्न २४. प्रासुक एवं एषणीय का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर - साधु प्रासुक व स्थविर के भोजी होते है । अतः प्रासुक का अर्थ जीव रहित ओर एषणीय का अर्थ है । एषणा समिति से युक्त ।
प्रश्न २५. साधु-साध्वियां कौन-कौन सा पानी काम में ले सकते हैं ?
उत्तर - गर्म पानी, राख, चूना आदि मिला हुआ तथा फिल्टर का पानी ले सकते हैं। क्योंकि वह अचित्त ( पक्का ) पानी है ।
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