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१५. गोचरी प्रकरण
प्रश्न १. गोचरी शब्द का क्या अर्थ है? उत्तर-जैसे गाय थोड़ा-थोड़ा घास चरती है, उसी प्रकार अनेक घरों से थोड़ा
थोड़ा आहार-पानी लेना गोचरी कहलाता है। गोचरी का अर्थ है गाय की
तरह चर्या करना। प्रश्न २. गोचरी के अन्य नाम क्या हैं? उत्तर-भिक्षाचरी, माधुकरीवृत्ति, उच्छवृत्ति, कापोती वृत्ति, कपिंजल वृत्ति। प्रश्न ३. आगमों में छह प्रकार की गोचरी से क्या तात्पर्य है? उत्तर-शास्त्रों में छह प्रकार की गोचरी कही है। जैसे
१. पेटा-ग्राम आदि को पेटा-संदूकवत् चार कोनों में बांटकर बीच के घरों को छोड़ते हुए चारों दिशाओं में समश्रेणी से भिक्षा लेना। २. अर्धपेटा–पूर्वोक्त विधि से क्षेत्र का बांटकर केवल दो दिशाओं से भिक्षा लेना। ३. गोमूत्रिका-जमीन पर पड़े हुए चलते बैल के मूत्र के आकार से क्षेत्र की कल्पना करके भिक्षा लेना। ४. पतंगवीथिका-पतंग की गतिवत् किसी भी क्रम के बिना छड़े-बिछुड़े घरों से भिक्षा लेना। ५. शम्बूकावर्ता-शंख के आवर्त की तरह वृत्त (गोल) गति से भिक्षा लेना। ६. गतप्रत्यागता-इसमें साधु एक पंक्ति के घरों की गोचरी करता हआ अन्त तक चला जाता है एवं लौटता हुआ दूसरी पंक्ति के घरों से भिक्षा
लेता है। प्रश्न ४. नव कोटि विशुद्ध भिक्षा का तात्पर्य क्या है ? उत्तर-श्रमण भगवान महावीर ने साधु-साध्वियों के लिए नौ कोटि परिशुद्ध भिक्षा १. दसवे. ५।१२
३. (क) स्थानां.६/६९ २. भिक्षु आगम शब्द कोश १ गोचरचर्या (ख) उत्तरा. ३०/१६
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