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साध्वाचार के सूत्र का निरूपण किया है। साधु आहर आदि के लिए न तो हिंसा करता, न करवाता और न करते हुए का अनुमोदन करता। न स्वयं आहार आदि पकाता, न पकवाता और न पकवाने वाले का अनुमोदन करता है। न स्वयं आहार आदि खरीदता न खरीदवाता और न खरीदने वाला का
अनुमोदन (समर्थन) करता। प्रश्न ५. साधु किन-किन घरों से गोचरी ले सकते है ? उत्तर-जिन घरों में मांस, अंडा, मदिरा (शराब) आदि अभक्ष्य पदार्थों का
व्यवहार रसोइ घर में न हो उन घरों से ले सकते हैं। प्रश्न ६. गोचरी के लिए किस समय जाना चाहिए? उत्तर-यद्यपि सूर्योदय के बाद सूर्यास्त तक गोचरी का समय है, फिर भी भगवान
ने कहा है कि गांव आदि में जब भोजन आदि बनने का समय हो उसी समय भिक्षार्थ जाना चाहिए अन्यथा भिक्षा न मिलने से आत्मा को कष्ट होगा एवं द्वेषवश गांव के लोगों की निंदा करने का प्रसंग आयेगा। शास्त्र में तीसरे प्रहर भिक्षा का जो वर्णन है। वह अभिग्रहधारी साधुओं की अपेक्षा से समझना चाहिए। आहार करने के बाद आवश्यकता हो तो साधु
दूसरी बार भी गोचरी जा सकते हैं। प्रश्न ७. गोचरी जाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? उत्तर-युगमात्र भूमि को देख-देख कर चलना चाहिए। बीज, हरित, मिट्टी, पानी
एवं कीड़े आदि प्राणियों से बचते हुए चलना चाहिए। दौड़ते, बात करते एवं हंसते हए नहीं चलना चाहिए।६ कबूतर, चिड़िया आदि पक्षी दाना चुग रहे हों, बच्चे खेल रहे हों तो उनके बीच से नहीं निकलना चाहिए। वर्षा ओस धंवर आदि में तथा जोरदार आंधी चलते समय एवं जल आदि सूक्ष्म जीव गिरते समय नहीं जाना चाहिए। भिखारी आदि द्वार पर खड़े हों तो उन्हें लांघकर गृहस्थ के घर में प्रवेश नहीं करना चाहिए। विशेष कारण बिना गोचरी के समय गृहस्थ के घर में न तो बैठना चाहिए, न कथा करनी चाहिए।
१. स्थानांग ६/३० २. दसवे. ५/२/४-६ ३. उत्तरा. २६/१२ ४. दसवे. ५/२/३ ५. दसवे. ५/१/३
६. दसवे. ५/११४ ७. दसवें. ५/१/८. दसवें. ५/१०-१२ ६. दसवें. ५/२/८
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