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साध्वाचार के सूत्र प्रश्न १६. विक्षेपणाविनय क्या है? उत्तर-विक्षेपणाविनय की शिक्षा में आचार्य अपने शिष्य को ये चार बातें सिखाते
हैं-१. मिथ्यात्वी को सम्यग्दृष्टि बनाना। २. सम्यग्-दृष्टि को सर्वविरति बनाना। ३. सम्यक्त्व-चारित्र से पतित व्यक्ति को पुनः स्थिर करना। ४.
चारित्रधर्म की वृद्धि करने वाले अनुष्ठानों में तत्पर रहना।' प्रश्न १७. दोष-निर्धातना विनय से क्या तात्पर्य है? उत्तर-दोष निर्घातना विनय की शिक्षा में आचार्य अपने शिष्य को ये चार बातें
सिखाते हैं-१. क्रोधी के क्रोध को उपदेश से शान्त करना। २. दोषी के दोष को दूर करना। ३. शंका-कांक्षा करने वालों को उनसे निवृत्त करना।
४. स्वयं पूर्वोक्त दोषों से मुक्त रहना।२ प्रश्न १८. आचार किसे कहते है ? उत्तर-मोक्ष एवं आत्मिक गुणों की वृद्धि के लिए किए जाने वाले ज्ञानादि
आसेवन रूप अनुष्ठान विशेष को आचार कहते है। प्रश्न १६. आचार कौन कौन से है ? उत्तर-ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार, वीर्याचार । प्रश्न २०. ज्ञानाचार किसे कहते हैं? उसकी आराधना के आठ प्रकार कौन
उत्तर–सम्यक्त्व का ज्ञान कराने के हेतुभूत-श्रुतज्ञान की आराधना करना
ज्ञानाचार है। यह आराधना आठ प्रकार से होती हैं-१. जिस समय जो सूत्र पढ़ने की आज्ञा हो, वह सूत्र उसी समय पढ़ना। २. ज्ञानदाता का विनय करना। ३. ज्ञानदाता का बहुमान करना। ४. शास्त्र पढ़ते समय आगमोक्त विधि से तप करना। ५. ज्ञानदाता के गुणों को न छिपाना अर्थात् उनका गुणगान करना। ६. सूत्र के पाठ का शुद्ध उच्चारण करना। ७. सूत्र का निःस्वार्थ बुद्धि से सच्चा अर्थ करना। ८. सूत्र और अर्थ दोनों
को शुद्ध पढ़ना एवं समझना। प्रश्न २१. दर्शनाचार से क्या तात्पर्य है तथा उसकी आराधना के आठ
आचार कौन से है? उत्तर-निःशङ्कितादिरूप से सम्यग्दर्शन की आराधना करना दर्शनाचार है। दर्शन
की आराधना के आठ आचार ये हैं५–१. सर्वज्ञ भगवान् की वाणी में १. दसाओ ४/१७
४. स्थानांग ५/२/१४७ का टिप्पण ६४ २. दसाओ ४/१८
५. उत्तरा. २८/३१ ३. स्थानांग ५/२/१४७
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