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१२. आशातना प्रकरण
प्रश्न १. आशातना किसे कहते हैं ?
उत्तर - आशातना का अर्थ है अशिष्ट व्यवहार। आय का अर्थ है सम्यग् दर्शन आदि की प्राप्ति और शातना का अर्थ है विनाश । जो आय का नाश करती है, वह आशातना है । चारित्रवान्, तपस्वी, ज्ञानी तथा ज्ञान आदि की अवहेलना को आशातना कहते हैं ।
प्रश्न २. आशातना कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर- तैतीस प्रकार की । '
प्रश्न ३. आशातना का स्वरूप क्या है ?
उत्तर - असद्व्यवहार, अवज्ञा अथवा अविनय पूर्ण व्यवहार करना आशातना है । प्रश्न - ४. दीक्षापर्याय में रत्नाधिक (दीक्षा पर्याय में बड़े साधु) की आशातना हो जाए तो क्या करना चाहिए ?
उत्तर - वन्दन कर खमतखामणा करना चाहिए ।
प्रश्न ५. बड़े साधु द्वारा छोटे साधु के पैर आदि लग जाए तो उन्हें क्या करना चाहिए ?
उत्तर - उन्हें भी उससे क्षमायाचना करनी चाहिए ।
प्रश्न ६. परस्पर बोलचाल हो जाए तो क्या करना चाहिए ?
उत्तर- खमत - खामणा ।
प्रश्न ७. खमत - खामणा का क्या अर्थ है ?
उत्तर—-अपनी गलती के लिए क्षमा मांगना और दूसरों की गलती के लिए क्षमा
देना ।
प्रश्न ८. साधुओं के लिए खमत खामणा करना क्यों आवश्यक हैं ? उत्तर - जब तक परस्पर खमत खामणा न करे तब तक वह आहारादि नहीं कर सकते।
१. समवाओ ३३/१
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