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विहार प्रकरण
चातुर्मास में कम से कम तीन साध्वियां होनी चाहिए। प्रवर्तिनी साध्वी को शेषकाल में तीन एवं चातुर्मास में चार साध्वियों से कम रहना नहीं कल्पता। इस प्रकार गणावच्छेदिका-साध्वी शेषकाल में चार साध्वियों एवं
चातुर्मास में पांच से कम नहीं रह सकती। प्रश्न २०. रोग अवस्था में साधु या साध्वी विहार न कर सके तो क्या
विधान है? उत्तर-रोग अवस्था में साधु या साध्वी तब तक एक गांव में रह सकते हैं जब
तक वे स्वस्थ न हो जाएं। प्रश्न २१. क्या साधु रोग अवस्था के बिना भी एक गांव में एक मास से
अधिक रह सकता है? उत्तर-हां, रह सकता है। स्थविर होने पर एक गांव में रह सकता है। ज्ञान,
दर्शन, चारित्र की वृद्धि हेतु भी एक गांव में रह सकता है। आचार्यों,
स्थविर व बड़े साधुओं के कल्प में भी ज्यादा रह सकता है। प्रश्न २२. सूर्योदय के पहले या सूर्यास्त के बाद कितने समय तक विहार
किया जा सकता है? उत्तर-सूर्य के उदय से पहले इतना प्रकाश हो जाए कि जमीन पर चलने वाले
चींटी आदि जीव स्पष्ट दिखाई दें और सूर्यास्त के बाद भी इतना प्रकाश
हो जिसमें जीव दिखाई दे, उस समय तक साधु विहार कर सकता है। प्रश्न २३. विहार में साधु गृहीत आहार-पानी का कितने कि. मी. तक
उपभोग कर सकता है? उत्तर-दो कोस तक यानी ४-५ मील अथवा ७-८ किलोमीटर के आसपास ।
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