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प्रश्न १४. आठ गुण कौन-कौन से हैं?
उत्तर - १. तत्त्वों में पूर्ण श्रद्धा वाला २. सच्चा पुरुषार्थी ३. मेधावी ४. बहुश्रुत ५. शक्तिमान ६. अल्पाधिकरण ७ धृतिमान ८. वीर्य सम्पन्न । '
साध्वाचार के सूत्र
प्रश्न १५. जो स्वच्छन्दतावश अकेले विचर रहे हैं, उनके लिए प्रभु ने क्या कहा है ?
उत्तर - स्वच्छन्दता से अकेले भटकने वाले साधु में प्रभु ने तेरह दुर्गुण कहे हैं। वह १. बहुत क्रोधवाला २. बहुत मान वाला ३. बहुत कपटवाला ४. बहुत लोभवाला ५. बहुत पापवाला ६. नया-नया वेश बनाने वाला ७. बहुत धूर्तता वाला ८. दुष्ट संकल्पवाला ९. आस्रवों में अनुरक्तिवाला, १०. दुष्ट कर्म करनेवाला ११. मैं विशेष चारित्र पालन के लिए अकेला विचरता हूं, इस प्रकार अपनी प्रशंसा करने वाला, १२. मेरा दोष कोई देख न ले, इस भय से आक्रांत एवं १३. अज्ञान - प्रमादवश सदा मूढभाव में रमण करनेवाला होता है ।
प्रश्न १६. सहगामी साधु के कालधर्म प्राप्त होने पर यदि साधु अकेला रह जाये तो ?
उत्तर - अपने
साधर्मिक साधुओं की तरफ विहार कर देना चाहिए एवं विशेष कारण के बिना रास्ते के गांवों में एक रात्रि से अधिक नहीं ठहरना चाहिए।
प्रश्न १७. विहार में साधु कम से कम कितने होने चाहिए ?
उत्तर - कम से कम दो साधु तो होने ही चाहिए। आचार्य - उपाध्याय शेषकाल में दो साधुओं से विचर सकते हैं, चातुर्मास में तीन अवश्य होने चाहिए। गणावच्छेदक शेषकाल में तीन से कम एवं चतुर्मास में चार से कम साधुओं के बिना नहीं रह सकते ।
प्रश्न १८. क्या योग्य साध्वियां अकेली विहार कर सकती हैं ?
उत्तर - नहीं अकेली साध्वी स्थंडिलभूमि, गोचरी एवं स्वाध्याय करने के लिए भी नहीं जा सकती । परिस्थितिवश अकेली हो जाए तो उसे जल्दी से जल्दी दूसरी साध्वी से मिलने का प्रयत्न करना चाहिए ।
प्रश्न १६. साध्वियों क विहार की क्या विधि है ?
उत्तर - सामान्यतया दो साध्वियां स्वतंत्र विहार नहीं कर सकतीं। शेषकाल या
१. स्थानांग ८ / १
३. व्यवहार ४/११
२. आ. ५/४
४. बृहत्कल्प ५/१५
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