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साध्वाचार के सूत्र लिए बनाया हो ऐसा कोई भी मकान साधुओं को रहने के लिए खोजना चाहिए। साधु के लिए बनाया हुआ, छाया हुआ, लीपा हुआ तथा खरीदा
हुआ मकान निवास के अयोग्य माना गया है।' प्रश्न ६. साधु अथवा साध्वी वृद्ध एवं बीमार हो जाय तो? उत्तर-विशेष परिस्थिति में साधु-साध्वियां स्थिरवासी एक ही स्थान में रह सकते
हैं। स्थिरवासी होने के कारण इस प्रकार हैं-१. जंघा-बल क्षीण होने पर २. ग्लान-बीमार होने पर ३. सहायक साधु साध्वियों के अभाव में ४. तपस्यादि द्वारा शरीर कमजोर होने पर ५. अनशन कर लेने पर ६. आगमों का पठन एवं पाठन आवश्यक होने पर ७. विहार-क्षेत्रों के अभाव में ८. संलेखना करते समय ९. रोगमुक्त होने के बाद पूर्ण स्वास्थ्य एवं शक्ति प्राप्त करने के लिए। इन कारणों से साधु-साध्वियां मासकल्प एवं चातुर्मासकल्प के बाद भी आवश्यकता के अनुसार एक ही स्थान पर निवास कर सकते हैं। वृद्ध
ग्लान आदि की सेवा करने वाले भी उनके साथ रह सकते हैं। प्रश्न ७. अनेक साधु-आचार्य-उपाध्याय-गणावच्छेदक आदि एक जगह
इकट्ठे हो जाएं तो? उत्तर–अनेक साधु (समान धर्मवाले) हों, आचार्य हों, उपाध्याय हों और चाहे
गणावच्छेदक हों। यदि एक जगह एकत्रित होने का अवसर आ जाए जो उन्हें स्वतंत्र रूप से रहना नहीं कल्पता। एक को प्रमुख बनाकर उसकी आज्ञा-अनुशासन में रहना चाहिए।
१. उत्तरा. ३५/६ २. (क) व्यवहार वृत्ति ३.४ गाथा ५३४-
५३५
(ख) आवश्यक चूर्णि ३. व्यवहार ४/३२
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