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महाप्रज्ञ-दर्शन सूक्ष्मतम स्तर तक पहुँच जायेगी-जिसे दार्शनिक आत्मा कहते हैं। आत्म-ज्ञान की यात्रा सामान्यतः एक छलांग नहीं है, अपितु स्थूल से क्रमशः सूक्ष्म की ओर प्रयाण है। स्वयं को जाने बिना सब व्यर्थ है
प्रश्न होता है कि आत्मा को जानने की आवश्यकता क्या है? प्रथम उत्तर तो यह है कि यदि आत्मा है अर्थात् मैं हूं तो यह प्रश्न गलत है कि उसे क्यों जानूं। जो है उसे जानना ज्ञान है, न जानना अज्ञान है। मैं अज्ञान से ज्ञान की ओर क्यों जाऊं यह प्रश्न ऐसा ही है कि कोई पूछे कि मैं श्वास क्यों लूं ? सत्य का अपना मूल्य है। ज्ञान अपने में कीमती है। अज्ञान खुद में हेय है। फिर भी यदि कोई ज्ञान का प्रयोजन जानना ही चाहे तो ज्ञान का प्रयोजन है-जीवन की सार्थकता। ज्ञान के बिना किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिलती। वाणिज्य के सिद्धान्तों को जाने बिना व्यापारी असफल हो जाता है। शस्त्र-ज्ञान के बिना योद्धा पराजित हो जाता है, विज्ञान के ज्ञान के बिना प्रयोगशाला में कोई प्रयोग सफल नहीं हो सकता। अतः ज्ञान का महत्त्व तो स्वतः सिद्ध है। प्रश्न है आत्म-ज्ञान के महत्त्व का। आत्म-ज्ञान का प्रयोजन है- शांति । सामान्यतया हम समझते हैं कि हमारे जीवन का अंतिम लक्ष्य सुख की प्राप्ति है। किंतु यदि मन शान्त न हो तो सुख मृग-मरीचिका ही बना रहता है"अशान्तस्य कुतः सुखम्" ? किसी ने भरी सभा में हमारा अपमान कियाहमारा मन अशान्त हो गया। घर आने पर हमारे सम्मुख भोजन के समय नानाविध व्यंजन परोसे गए। हमारा मन सभा में हुए अपमान के कारण अशान्त है, तो सामने थाली में रखे स्वादिष्ट व्यंजन भी हमें सुख नहीं दे सकते। इसके विपरीत यदि सभा में हमारी प्रशंसा हुई-तो हमारा मन प्रफुल्लित हो जायेगा। उस स्थिति में सामान्य भोजन भी सुखदायी होगा। किंतु वस्तुतः यह भी शान्ति की अवस्था नहीं है। वास्तविक शान्ति वह है-जो निंदा या प्रशंसा से भंग नहीं होती। ऐसी स्थिति पाने वाला स्थितप्रज्ञ ही सदा सुखी रह सकता है। इतना स्पष्ट है कि शान्ति हमारे बाहर नहीं है। अतः ऐसी शान्ति प्राप्त करनी हो तो अंदर झांकना होगा। हमारी इन्द्रियाँ सदा बाहर देखती हैं, इसलिए आत्मा इन्द्रियों का विषय नहीं बन पाती। एक ऐसी चेतना भी है जो इन्द्रियातीत है। इन्द्रियातीत चेतना कहो या अन्तर् आत्मा कहो-एक ही बात है। आत्मदर्शन का यही एकमात्र उपाय है। प्रारम्भ करें शरीर से
पर हम अन्दर झांकने की जल्दी न करें। हमें अंदर झांकने का अभ्यास नहीं है। अभी अन्दर झांकेंगे तो अतिरिक्त अंधेरे के और कुछ न दिखेगा। अतः
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