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महाप्रज्ञ-दर्शन न भावशून्याः -भावशून्य क्रियाएं फलित नहीं होती, निष्फल होती हैं। आदमी कितना ही प्रयत्न करे, यदि उसका प्रयत्न भावशून्य है तो वह व्यर्थ चला जायेगा। श्वासप्रेक्षा, शरीरप्रेक्षा या चैतन्य-केन्द्र प्रेक्षा-ये सारी प्रवृत्तियाँ बहुत बड़ी नहीं हैं, साधारण हैं। पर इनके साथ जब हमारा भाव जुड़ जाता है तब श्वासप्रेक्षा बहुत मूल्यवान् बन जाती है, तब शरीरप्रेक्षा और चैतन्य-केन्द्र प्रेक्षा बहुत मूल्यवान् बन जाती है। जब रंगों के साथ और लेश्या के साथ भाव संयुक्त होता है तब रंग प्रेक्षा, लेश्या प्रेक्षा का महत्त्व बढ़ जाता है। मूल्य बढ़ता है भाव से। भाव नहीं जुड़ता तो ये सारी क्रियाएं दस-बीस-पचास वर्षों तक करते रहो, निष्पत्ति मात्र शून्य होगी। भाव है हमारी चेतना । जब क्रिया के साथ चेतना ही नहीं है तो उसकी अंधता नहीं मिट सकती। ० भाव उपादानं प्रधानः ० तस्मिन् सति निमित्तान्यकिञ्चित्कराणि
उपादान का पहला स्थान है और निमित्त का दूसरा । यदि हम भीतर की भावधारा को मोड़ देते हैं तो वहाँ बाहर के निमित्त बहुत प्रभाव नहीं डाल सकते। ० भावनाधीना स्वतश्चालितक्रिया
रागाशय और द्वेषाशय-ये स्वास्थ्य को सीधा प्रभावित नहीं करते हैं। जब भाव संवेग बनते हैं तब वे स्वास्थ्य को सीधा प्रभावित करते हैं। वे भी सीधा स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं कर पाते। वे प्रभावित करते हैं शरीर के माध्यम से। हमारे शरीर का सर्वोत्तम अंग है मस्तिष्क । मस्तिष्क का एक भाग है लिम्बिक सिस्टम और एक भाग है हाइपोथेलेमस। हाइपोथेलेमस भावना के प्रति बहुत संवेदनशील है। वह भावना को पकड़ता है और भावना से होने वाली प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करता है। जो भावना पैदा होती है, जो भाव निर्मित होता है उससे हाइपोथेलेमस प्रभावित होता है और वह दूसरे अंगों को प्रभावित करता है। हमारा जो स्वतः चालित नाड़ी-संस्थान है, ग्रन्थितंत्र है, उसको भी भावना प्रभावित करती है। जैसे पृथ्वी पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, वैसे ही स्वतःचालित नाड़ी-संस्थान पर भी हमारा कोई अधिकार नहीं है। भोजन कर लिया, उसका परिपाक होता है, हम चाहे उसके प्रति सचेत रहें अथवा सचेत न रहें । स्वतःचालित होने वाली क्रिया पर नियंत्रण है हाइपोथेलेमस का । हमारी जो नाड़ियां हैं, ग्रन्थियों के स्राव हैं, हारमोन्स बनते हैं, उन पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। अपना काम करते हैं। भावना को पकड़ता है हाइपोथेलेमस । वह नाड़ी-तंत्र और ग्रन्थितंत्र के माध्यम से शरीर को प्रभावित करता है।
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