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महाप्रज्ञ-दर्शन ० समतायाः परतरं न हि
जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है-समता, समता से बड़ी दुनिया में कोई उपलब्धि नहीं है। ० स्वातंत्र्यं, शुद्धचेतनास्तित्वात्
शुद्ध चेतना है इसलिए हम स्वतंत्र हैं।
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।। इति रूपान्तरणप्रक्रियाधिकरणे सूक्ष्मजगत्पादः।।
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