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________________ रूपान्तरणप्रक्रियाधिकरणे सूक्ष्मजगत्पादः ० स्पन्दनं प्राणाः • ते सामान्या विशेषाश्चेति द्विविधाः • सामान्याः सर्वशरीरे ० विशेषास्तेषु तेष्विन्द्रियेषु प्राण का मतलब है- स्पन्दन, धड़कन, गतिशीलता। प्राण के दो प्रकार हैं-सामान्य प्राण, विशेष प्राण । सामान्य प्राण पूरे शरीर में विद्यमान है और विशेष प्राण क्षेत्रीय नाम से जाना जाता है, जैसे आँख से देखने में जो प्राण सहयोग कर रहा है-वह है चक्षु इन्द्रिय प्राण । ० हृदय-नासाग्र-नाभिषु प्राणाधिक्याविर्भावः प्राणाधिक्याविर्भावः हृदय, नासाग्र, नाभि इन स्थानों में प्राण अधिक प्रकट होता है। ० सूक्ष्मशरीरे क्षमतासञ्चयः ० स्थूलशरीरे तदभिव्यक्तिः ० आत्मा शक्तिः ० सूक्ष्मशरीरं तदावरणम् ० ज्ञानञ्चेतनालोकः ० आनन्दस्तदनुभूतिः ० शक्तिस्तन्मुक्तिः ० वासना सूक्ष्मशरीरे ० स्थूलशरीरे तदभिव्यक्तिः तीन चीजे हैं-आत्मा, सूक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर । स्थूल शरीर वह है जिसमें सब कुछ प्रकट होने की क्षमता है। सूक्ष्म शरीर वह है जिसमें क्षमताओं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003049
Book TitleMahapragna Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayanand Bhargav
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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