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रूपान्तरणप्रक्रियाधिकरणे भावपादः
• आत्मनाकृष्टं तदेकरसीभूतञ्च पुद्गलं कर्म तदान्तरम्
• कर्मविपाके निमित्तं नोकर्म, तद् बाह्यम्
आत्मा की प्रवृत्ति के द्वारा आकृष्ट और उसके साथ एकरसीभूत पुद्गल कर्म कहलाते हैं।
कर्म विपाक की सहायक सामग्री को नो कर्म कहा जाता है । आज की भाषा में कर्म को आन्तरिक परिस्थिति या आन्तरिक वातावरण और नो कर्म को बाहरी परिस्थिति कह सकते हैं ।
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० रासायनिक प्रक्रिया कर्म न तद् वासना, संस्कारो, धारणा, स्मृतिर्वा कर्म एक रासायनिक प्रक्रिया है ।
कर्म न वासना है, न संस्कार है, न धारणा है, न स्मृति है ।
॥ इति रूपान्तरणप्रक्रियाधिकरणे भावपादः ।।
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