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________________ ११ दृष्टि ७. हम सब अलग-अलग हैं। ७. भेद में छिपे अभेद को जानना आवश्यक है। ८. सुविधा उपलब्ध हो तो हिंसा नहीं ८. हिंसा की जड़ में भोग की इच्छा होती। मुख्य है। ६. अहिंसा निर्बलों के लिए हैं। ६. अहिंसा का पालन केवल समर्थ कर सकते हैं। १०. अहिंसा के लिए इच्छाओं का दमन १०. अहिंसा के लिए इच्छाओं का करना पड़ता है। परिसीमन /परिष्कार करना होता ११. अहिंसा के लिए सुख छोड़ना ११. परिग्रही व्यक्ति अहिंसक नहीं हो आवश्यक नहीं । सकता। १२. अहिंसा का फल परोक्ष है। १२. अहिंसा का फल पर्यावरण की सुरक्षा जैसे सन्दर्भो में प्रत्यक्ष है। १३. अहिंसा यथास्थितिवाद की समर्थक १३. अहिंसा जीवन में आमूलचूल परिवर्तन माँगती है। विज्ञान १. देश और काल की सत्ता पृथक्- १. देश और काल दोनों मिलकर एक पृथक् है। युति बनाते हैं। २. काल सर्वत्र एक जैसा है। २. काल की लम्बाई गति-सापेक्ष है। ३. पदार्थ की लम्बाई, चौड़ाई सब ३. पदार्थ की लम्बाई, चौड़ाई पदार्थ . स्थितियों में एक ही रहती है। की गति के साथ बदल जाती है। ४. हमें पदार्थ के स्वरूप को तर्क के ४. हमें अपने तर्क को पदार्थ के अनुसार ढालना चाहिए। स्वरूपानुसार ढालना चाहिए। ५. पदार्थ का द्रव्यमान सदा एक रहता ५. पदार्थ का द्रव्यमान गति के साथ बढ़ता है। ६. काल की दृष्टि से जो एक के ६. काल की दृष्टि से जो एक के लिए पूर्व (पहले) है वह सबके लिए पूर्व है वह दूसरों के लिए लिए पूर्व है। युगपत् है। ७. दो परस्पर विरोधी तथ्यों में एक ७. स्थूल स्तर पर न्यूटन के सिद्धान्त ही सत्य हो सकता है। सत्य है और सूक्ष्म स्तर पर आइंस्टीन के सिद्धान्त सत्य है, यद्यपि वे दोनों परस्पर विरोधी हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003049
Book TitleMahapragna Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayanand Bhargav
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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