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महाप्रज्ञ-दर्शन ४. हम प्रकृति का संचालन करते हैं। ४. प्रकृति में हम कुछ भी नया नहीं
बना सकते । प्रकृति जो कुछ देती है, हम केवल उसका उपयोग
कर सकते हैं। ५. उद्योगों को बढ़ावा देकर हम ५. उद्योगों से होने वाला प्रदूषण विकास करते हैं।
प्राकृतिक सम्पदा की दृष्टि से हमें
दरिद्र बनाता है। ६. केन्द्रीकृत अर्थ-व्यवस्था के अन्तर्गत ६. केन्द्रीकृत व्यवस्था के अन्तर्गत
बड़े उद्योगों से पैदा होने वाला श्रमिक मनुष्य नहीं रहकर यन्त्र माल सस्ता और सुलभ होता है। बन जाता है। ७. हस्तशिल्प का काम भौंडा होता ७. हस्तशिल्प में सौन्दर्य है।
है।
८. मूलभूत आवश्यकताएं निश्चित हैं। ८. मूलभूत आवश्यकताओं की सूची
सापेक्ष है। किसी के लिए टेलीविजन मूल आवश्यकता है, किसी के लिए वह शान्ति में बाधक
है।
६. धन साध्य है, उसे कमाने के लिए ६. प्रकृति के शोषण से एक बार धन
कोई भी उपाय बरता जा सकता भले ही मिल जाए लेकिन लम्बे है।
समय में हम उन मूलभूत साधनों से ही वंचित हो जाते हैं जिनके
आधार पर उद्योग-धन्धे चलते हैं।
अहिंसा १. मित्र के प्रति मैत्री का नियम उचित १. अहिंसा बेशर्त होती है।
२. जीवन के अस्तित्व के लिए की २. हिंसा हर हालत में हिंसा ही है।
गई हिंसा हिंसा नहीं है। ३. हिंसा का कारण क्रूरता है। ३. तनाव के कारण भी व्यक्ति हिंसक
हो जाता है। ४. सत्य के प्रति तो आग्रह होना ही ४. किसी भी प्रकार का आग्रह हिंसा चाहिए।
का हेतु है। ५. सुरक्षा के लिए हिंसा उचित है। ५. अहिंसा की पहली शर्त है-अभय । ६. अहिंसा अव्यवहारिक है। ६. व्यवहार के लिए भी एक सीमा
तक अहिंसा आवश्यक है।
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