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महाप्रज्ञ-दर्शन के स्नेह से प्रदीप्त होता है तब क्रियात्मक शक्ति प्रकट होती है। वही है मन की शान्ति। ० सत्यामेव शान्तौ सर्वं सुखकरम् ० नान्यथा ___ हमारे जीवन में शब्दकोश का सबसे मूल्यवान् शब्द है-शान्ति । पैसे और रोटी का, घर और कपड़े का या अन्य पदार्थों का मूल्य तभी है जब मन में शान्ति है। शान्ति नहीं होती है तो सारे मूल्य मूल्यहीन बन जाते हैं। ० एकान्तसेवन-मौन-कार्यव्यापृतता-श्वासनिरोधाः क्रोधशमनोपायाः
क्रोध की विफलता के चार सूत्र हैं
जहां क्रोध आए वहां से उठकर एकान्त में चले जाना। मौन हो जाना। किसी काम में लग जाना। एक-दो क्षण के लिए श्वास को रोक देना। ० अनाग्रह-सापेक्षता-स्थायित्व-परिवर्तनशीलता-सौहार्द-एकतानुभूतयः शान्तिसूत्रम्
शान्ति के सूत्रनिरपेक्ष या आग्रहपूर्ण नीति का परित्याग। सापेक्ष या तटस्थ नीति का स्वीकरण । स्थिति का स्थायित्व की दृष्टि से मूल्यांकन। स्थिति का परिवर्तन की दृष्टि से मूल्यांकन। आत्म-विश्वास और पारस्परिक सौहार्द का विकास । मानवीय एकता की तीव्र अनुभूति।
आत्मौपम्य-एकतानुभूति-सत्यैकतानेकतैकता-मैत्री-स्वामित्वसङ्कोच -अनर्थहिंसा-विरमण-संयमाः विश्वबंधुत्वसूत्रम्।
विश्व-बंधुत्व के आधार सूत्रआत्मौपम्य की भावना का विकास। मनुष्य जाति की एकता में विश्वास। धर्म की मौलिक एकता में विश्वास ।
राष्ट्रीय अथवा विभक्त भूखण्ड के नीचे रहे हुए अखण्ड जगत् की अनुभूति।
मैत्री और करुणा का विकास । व्यक्तिगत स्वामित्व की सीमा । शस्त्र के प्रयोग की सीमा। अनावश्यक हिंसा की वर्जना। संयम का विकास।
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