________________
०
परिभाषाधिकरणे अहिंसापादः
अनन्ता मैत्री अहिंसा
अहिंसा का स्वरूप है मैत्री का अनन्त प्रवाह |
• सर्वेऽभ्योऽभयमहिंसा
अहिंसा की मर्यादा है सबकी सुरक्षा - प्राणी मात्र की सुरक्षा । एक की सुरक्षा और दूसरे की असुरक्षा यह अहिंसा की मर्यादा का भंग है।
० अहिंसा बलवच्छस्त्रम्
• बलवानेव तत्प्रयोक्तुमलम्
अहिंसा का अस्त्र आणविक अस्त्र से भी अधिक शक्तिशाली है किंतु उसका प्रयोग शक्तिशाली व्यक्ति ही कर सकता है ।
० शुद्धि - शान्ती फलमहिंसायाः
०
न तु भौतिकोपलब्धिः
भौतिक उपलब्धि अहिंसा का परिणाम नहीं है। उसका परिणाम है आत्म-शुद्धि और मानसिक-शान्ति ।
० अनेकतायामेकतादर्शनं सहास्तित्वमूलम्
शान्ति का आध्यात्मिक सिद्धांत सह-अस्तित्व का विचार है। अनेक धाराएं भी सह-अस्तित्व का विकास होने पर एक धारा की भांति व्यवहार कर सकती है।
०
न मूर्च्छा शान्तिः
० आत्मन्यात्मविलीनताजन्या शक्तिश्शान्तिः
शान्ति चेतना की नकारात्मक स्थिति नहीं है । वह मन की मूर्च्छा नहीं है । वह अन्तःकरण की क्रियात्मक शक्ति है । अन्तःकरण जब अन्तःकरण का स्पर्श करता है, मन जब मन में विलीन होता है और चैतन्य का दीप जब चैतन्य
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org