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________________ २५३ परिभाषाधिकरणे ज्ञानपादः ० भौगोलिकानुवंशिकसामाजिकशारीरिकमानसिकापरामानसिकमिति षड्विधं व्यक्तित्वविभाजनम् ___हमारा व्यक्तित्व छह खण्डों में विभाजित है। ये छह खण्ड हैंभौगोलिक व्यक्तित्व, आनुवंशिक व्यक्तित्व, सामाजिक व्यक्तित्व, शारीरिक व्यक्तित्व, मानसिक व्यक्तित्व, परामानसिक व्यक्तित्व । ० गुण-दोषः पितृभ्याम् आनुवंशिकता का भी व्यक्तित्व में बहुत बड़ा अवदान होता है। माता-पिता के गुण-दोष संतान में संक्रांत होते हैं। ० व्यवहारस्समाजतः __वेशभूषा, व्यवहार और आचार-विचार-ये सारे हमारे सामाजिक व्यक्तित्व के कारक हैं। ० शरीराकृतिश्शरीरावधारणातः शरीर की अवधारणाओं के आधार पर शरीर की दीप्ति के अनुसार एक व्यक्तित्व निर्मित होता है। ० दायित्वनिर्वहणं मनसः सभी प्रकार के व्यक्तियों के दायित्वों को वहन करना, प्रतिक्रियाओं को झेलना, क्रियाओं का उत्सर्जन करना-यह सब मानसिक व्यक्तित्व करता है। ० परामानसं तिरोहितम् परामानसिक व्यक्तित्व, यह छिपा हुआ है, प्रकट नहीं है। ० तत् सूक्ष्मे कार्मणे वा शरीरे हमारे समूचे व्यक्तित्व के पीछे, व्यक्तित्व में घटित होने वाली घटनाओं के पीछे जो रहस्यमय सत्ता छिपी हुई है वह है सूक्ष्म शरीर या कर्म शरीर की सत्ता या सूक्ष्म शरीरीय चेतना की सत्ता । इसे हम परामानसिक सत्ता कहते हैं। ० जरायां वियोगे रोगे वानाक्रान्तो धार्मिकः धार्मिक वह है जो बुढ़ापा आने पर, वियोग होने पर, रोगग्रस्त होने पर भी दुःखी नहीं होता। ० सक्रियता आसनम् ० तत्र निवृत्तिरपेक्षिता आसन का अर्थ है सक्रियता। किंतु जिस आसन के साथ निवृत्ति जुड़ी हुई नहीं है वह आसन अच्छा नहीं होता। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003049
Book TitleMahapragna Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayanand Bhargav
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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