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शिक्षा का नया आयाम
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समता प्राणशक्ति को सुरक्षित रखती है। इस बात को हमारी शिक्षा नहीं समझा पा रही है।
हमें सुख सुविधा चाहिए पर हम इस बात को भुला रहे हैं कि सुविधा हमारी शक्ति को कम करती है। हमारी आंतरिक शक्ति को सहिष्णुता बढ़ाती है। प्राचीन शिक्षा पद्धति में विद्यार्थी को कठोर जीवन जीने की प्रेरणा दी आती थी। इस कारण वह जीवन का संघर्ष झेल सकता था। आज विलासपूर्ण जीवन का आकर्षण बढ़ा है और तपस्यापूर्ण जीवन मूर्खता समझा जा रहा है। परिणाम यह हुआ कि मनुष्य की शक्ति क्षीण हो गई। वह एक दुष्चक्र में फंस गया। ज्यों-ज्यों वह अधिक सुविधाओं का भोग करता है त्यों-त्यों उसकी आंतरिक शक्ति क्षीण होती है। शिक्षा के अन्तर्गत ऐसी जीवन पद्धति सिखानी होगी कि मनुष्य इस दुष्चक्र से निकल सके।
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