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पर्यावरण सम्पन्न हो जायें किंतु सदा के लिए दरिद्र हो जायें। तीसरा अनौचित्य यह है कि हम ऐसे पदार्थों का उत्पादन करें जो उपभोक्ता को मोहक तो लगें किंतु अन्ततोगत्वा उसकी हानि कर दे। स्वस्थ समाज के लिये ये सभी अनुचित उपाय त्याज्य हैं।
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