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________________ १२० महाप्रज्ञ-दर्शन १. केन्द्रीय तंत्रिकातंत्र २. परिधिगत तंत्रिकातंत्र। केन्द्रीय तंत्रिकातंत्र के मुख्य दो अंग हैं १. मस्तिष्क २. सुषुम्ना अथवा मेरुरज्जु। नये समाज की रचना होनी चाहिए। उसके लिए यत्र-तत्र प्रयत्न भी हो रहा है, पर नये समाज की रचना का कार्य आगे नहीं बढ़ रहा है। मस्तिष्कीय प्रशिक्षण की प्रविधि का उपयोग किये बिना वह आगे नहीं बढ़ेगा, यह भविष्यवाणी की जा सकती है। ___ परिस्थिति को एक साधन के रूप में रेखांकित किया जा सकता है। इसमें कर्तव्य का आरोप करना बहुत बड़ी भ्रांति है। आदमी कब बदलेगा? इस प्रश्न का उत्तर दिया जा रहा है-जब परिस्थिति बदलेगी। परिस्थिति कब बदलेगी? जब आदमी बदलेगा। इस उत्तर श्रृंखला में कोई निर्णय नहीं है। इस भाषा को पढ़ने वाला ही नए समाज की रचना का सपना ले सकता है और उसे साकार कर सकता है। ___ कार्लमार्क्स ने समाज की नई व्यवस्था का एक ढांचा खड़ा किया था। उन्होंने कब सोचा था कि उनकी विचारधारा को मानने वाले ही उसे खंडहर बना देंगे। महात्मा गांधी ने समाज व्यवस्था के महत्त्वपूर्ण सूत्र दिए। यदि उनके आधार पर समाज की रचना होती तो समाज स्वस्थ बन जाता। ऐसा नहीं हुआ। महात्मा गांधी के अनुयायी ही उसकी असफलता के लिए अधिक जिम्मेवार हैं। इच्छा संयम और भोग संयम के साथ आर्थिक विकास का प्रश्न जुड़ा होता तो गरीब और अमीर के बीच इतना अन्तर न होता। जिस दिन “अहिंसा परमो धर्मः” के साथ “अपरिग्रहः परमो धर्मः” का स्वर बुलन्द होगा, आर्थिक समस्या को एक समाधान उपलब्ध हो जायेगा। बहुत कठिन है-नैतिक मूल्यों का विकास। बहुत-बहुत कठिन है आध्यात्मिक चेतना का रूपान्तरण | कठिनतम है आध्यात्मिक-वैज्ञानिक व्यक्तित्व का निर्माण। भाव, विचार, रुचि, ज्ञान और चरित्र की भिन्नता रही है और रहेगी। ऐसा कोई यंत्र नहीं है जो मनुष्य को एक सांचे में ढालकर बाजार में बेच सके। यदि बुराई मिट नहीं सकती तो उसे मिटाने का प्रयत्न क्यों? इसका उत्तर किसी ग्रन्थ पाने की अपेक्षा दीपक, पाना बहुत अच्छा है। अंधकार न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003049
Book TitleMahapragna Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayanand Bhargav
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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