________________
रंगों की मनोवैज्ञानिक प्रस्तुति
89
रंग स्वयं में कुछ नहीं होता, उसकी विशुद्धता तथा चमक पर उसकी विशेषता का अंकन किया जाता है। सूत्रकृतांग की चूर्णि में लिखा है कि स्निग्ध छाया वाला तथा तेजस्वी श्यामवर्ण (नील वर्ण) भी सुवर्ण है और परुष स्पर्शवाला गौरपूर्ण भी दुर्वर्ण है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अन्धकार का काला, नीला, कापोती रंग खराब होता है जबकि प्रकाश का काला, नीला, कापोती रंग अच्छा माना जाता है। इसी प्रकार प्रकाश का पीला, लाल, सफेद रंग अच्छा होता है जबकि अंधकार का पीला, लाल, सफेद रंग अच्छा नहीं माना जाता।
लाल रंग स्वास्थ्य, अग्नि, गर्मी, रक्त, क्रोध, मिजाज़, खतरा और विनाश को दर्शाता है। मनोवैज्ञानिकों ने लाल रंग को ऊर्जा, शक्ति, साहस और प्राणशक्ति का प्रतीक माना है। यह दृढ़ निश्चय और अध्यवसाय का रंग है। इसके कुछ प्रकम्पन मौलिक मूल प्रवृत्तियों और इच्छाओं को जागृत कर अवचेतन मन पर प्रभाव डालते हैं। लाल विकिरण जीवनीशक्ति, ऊर्जा और शारीरिक बल प्रदान करती है । यह साहस, प्रेम, जोखिम उठाने, उत्साह जैसे नेतृत्व के गुणों को बढ़ाती है। यह रंग उत्तेजक होने के कारण वासनाएं पैदा करता है जिससे नैतिक पतन की संभावना बनती है। __लाल रंग को पसन्द करने वाले बहिर्मुखी होते हैं। उनमें गहरी सहानुभूति और मानवता के लिए खून बहाने की तैयारी होती है। उनके लिये जिन्दगी का बहुत बड़ा अर्थ होता है, क्योंकि वे जीना चाहते हैं। रोमांचक घटना भरे अस्तित्व को वे स्वीकार करते हैं। लाल रंग को पसन्द करने वाले व्यक्ति कुण्ठित, पराजित, इच्छाओं की पूर्ति न होने पर क्रोधी व तीखे होते हैं। ऐसे व्यक्ति सफल और प्रसन्न जीवन से वंचित होकर शारीरिक नहीं, तो मानसिक रूप से परेशान रहते हैं।
प्रत्येक रंग की विभिन्न छवियां होती हैं । रंगों की बदलती छवियों के साथ इसके अर्थ भी बदल जाते हैं। स्पष्ट चमकदार लाल रंग उदारता, महत्त्वाकांक्षा और प्रेम को दर्शाता . है। गहरा लाल वासना, प्रेम, साहस, घृणा, क्रोध आदि का, गहरा धुंधला लाल पाप और दुष्टता का, भूरा लाल सांसारिकता और इन्द्रिय सुख का, बहुत ज्यादा समृद्ध लाल स्वार्थपरता का, धब्बेदार (Cloudy) लाल लालच और क्रूरता का, किरमिची लाल निम्न वासना और इच्छा का संकेतक माना गया है।
नारंगी रंग ताप, अग्नि, संकल्प और भौतिक शक्तियों को दर्शाता है। लाल और पीले रंग की विकिरणों का मिश्रण होने के कारण इसमें लाल रंग की शक्ति व उत्तेजना और पीले रंग की आनन्द व प्रसन्नता सन्निहित है। यह उत्साह, समृद्धि, बहुलता, कीर्ति, दयालुता और विस्तार की प्रतीक है।
1. काला अपि स्निग्धच्छायान्तस्तेजस्विनश्च सुवर्णाः अवदाता अपि फरुसच्छविणो
दुवण्णा। सूत्रकृतांग चूर्णि, पृ. 314
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org