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लेश्या और मनोविज्ञान
ये ही किरणें आगे जाकर उपरंगों में विभक्त हो जाती हैं। रंग चेतना के सभी स्तरों पर प्रवेश कर भौतिक तथा आध्यात्मिक प्रभाव दिखाता है। इसीलिये ऑसले (Ouseley) ने प्रत्येक रंग के सात पहलू माने हैं -
2. चेतना 5. आपूर्ति
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1. शक्ति
4. प्रकाश
जीवन के निर्माण एवं समायोजन में मनोवैज्ञानिकों ने रंग प्रभाव की तीन स्तरों पर व्याख्या की है। उनका कहना है कि रंगों का प्रभाव आरामदायक, पुनर्शक्तिदायक और प्रेरणादायक व उद्दीपक होता है ।
रंग विश्रामदायक तब बनता है जब व्यक्ति शांत, एकाग्र और अच्छे चिन्तन में डूबा होता है। इसके लिए हरा रंग सबसे अच्छा माना गया है। इसकी विशिष्ट छवि का चयन व्यक्ति पर निर्भर करता है।
3.
चिकित्सा
6. प्रेरणा 7. पूर्णता ।
रंग पुनर्शक्तिदायक तब बनता है जब यह जीवन में परिवर्तन, सन्तुलन, विस्तार, सन्तोष और सामंजस्य की स्थितियां पैदा करता हो। इसके लिये लाल और हरा रंग अच्छा माना गया है ।
रंग प्रेरणादायी तब होता है जब यह आशा, सक्रियता, महत्त्वाकांक्षा को जगाने वाला या शान्ति, प्रसन्नता, अन्त:प्रेरणा, अनुभूति एवं आत्मा के उच्चतर कार्यों के माध्यम से विचारों और भावनाओं से मुक्ति दिलाने वाला हो। इसके लिये नीला रंग महत्त्वपूर्ण है ।
रंग प्रकम्पन होते हैं। ये अपने आपको विशिष्ट धरातल पर प्रकम्पनों की विभिन्न गतियों के माध्यम से अभिव्यक्त करते हैं। शारीरिक धरातल निम्न प्रकम्पन एवं कम सघनता वाला होने के कारण गहरे लाल एवं नारंगी जैसे निम्न प्रकम्पन वाले रंगों को आकर्षित करता है । मानसिक धरातल कुछ ऊंचे प्रकम्पन वाला होने के कारण पीले जैसे चमकदार, उज्ज्वल और पारदर्शी रंगों को आकर्षित करता है । आध्यात्मिक धरातल के रंग बहुत तीव्र होते हैं अत: इनकी सादृश्यता बहुत चमकदार और उच्च प्रकम्पन वाले रंगों से होती है। विशेष स्पष्टता की दृष्टि से ऑसले ने तीनों धरातल के रंगों को तालिका के माध्यम से इस प्रकार अभिव्यक्त किया है
प्रभाव
शरीरिक धरातल मानसिक धरातल
हरा, जामुनी
1. आरामदायक हरा रंग
2. पुनर्शक्तिदायक नारंगी रंग 3. प्रेरक / उद्दीपक सिन्दूरी रंग
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चमकदार नीला, हरा
पीला, जामुनी
1. S.G.J. Ouseley, Colour Meditations, p. 9
2. Ibid, p. 50-51
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आध्यात्मिक धरातल
चन्द्रमा के प्रकाश
जैसा नीला रंग सुनहरा, नील, लोहित बैंगनी 2
गुलाबी
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