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________________ 66 लेश्या और मनोविज्ञान भय हमें इनके अस्तित्व का अवबोध होता है। इसकी अभिव्यक्ति के समय व्यक्ति विशेषतः ऊर्जस्वल होता है। इसलिए वह अतिरिक्त सक्रियता प्रदर्शित करता है। उसकी यह सक्रियता तब तक बनी रहती है, जब तक कि इच्छाओं की संतुष्टि में कोई व्यवधान नहीं आ जाता। मैकडूगल ने आनुवंशिकता के प्रभाव को भी मूलप्रवृत्ति में समाविष्ट किया है। मूलप्रवृत्ति के दो बड़े विभाग हैं - आत्मसुरक्षात्मक मूलप्रवृत्ति और जाति सुरक्षात्मक मूलप्रवृत्ति । संवेग मूलप्रवृत्ति की अभिव्यक्ति में सहयोग करता है। तालिका के माध्यम से इस तथ्य को विस्तृत रूप से समझा जा सकता है - मूलप्रवृत्ति संवेग मूलप्रवृत्ति संवेग 1. पलायन 8. दीनता आत्महीनता 2. युयुत्सा क्रोध 9. आत्मगौरव आत्माभिमान 3. निवृत्ति घृणा 10. सामूहिकता अकेलापन 4. पुत्रकामना वात्सल्य 11. भोजनान्वेषण भूख 5. शरणागत करुणा 12. संग्रह अधिकार 6. कामप्रवृत्ति कामुकता 13. रचना कृति 7. जिज्ञासा आश्चर्य 14. हास मनोविनोद मनोविज्ञान की इस चर्या को जैन दर्शन की दृष्टि से कर्मतंत्र के अन्तर्गत समझा जा सकता है। हमारी समस्त मूलप्रवृत्तियों का आदि स्रोत यही है। इस कर्मतंत्र का प्रधान सचिव है - मोहनीय कर्म । इसी के निर्देश से कषाय, नोकषाय आदि कर्मचारी कार्य में प्रवृत्त होते हैं। कषाय की सघनता और अल्पता के आधार पर ही उसके अनन्तानुबंधी आदि सोलह विभाग किये गये हैं। 1. अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया, लोभ 2. अप्रत्याख्यानी क्रोध, मान, माया, लोभ 3. प्रत्याख्यानी क्रोध, मान, माया, लोभ 4. संज्वलन क्रोध, मान, माया, लोभ व्यक्तित्व का सीधा संबंध हमारे आवेग, वासना और मनोदशाओं से जुड़ा है। आवेगात्मक तीव्रता और मन्दता मनोवृत्तियों को शुभ-अशुभ, प्रशस्त-अप्रशस्त बनाती हैं और इसी आधार पर व्यक्तित्व की सही पहचान और व्यक्तित्व का वर्गीकरण प्राचीन समय से होता आ रहा है। आचारदर्शन में मनोवृत्तियों की प्रशस्तता-अप्रशस्तता ही महत्त्वपूर्ण अंग बनती है। सारे मानवीय आचरणों की व्याख्या आवेगों के आधार पर की जाती है। 1. ठाणं 4/354 Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003048
Book TitleLeshya aur Manovigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size11 MB
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