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लेश्या और मनोविज्ञान
शब्दान्तर से कहें तो पहली प्रवृत्ति रचनात्मकता की मूल है और दूसरी प्रवृत्ति के साथ विध्वंस की बात जुड़ी है।
इन दोनों अवधारणाओं के साथ चेतना के स्तर आदि के पारस्परिक संबंधों को जेम्स डी. पेज ने अपनी पुस्तक में तालिकाबद्ध विवरण के माध्यम से अच्छी तरह स्पष्ट किया है।
General Biological Energy
Eros or Life Drives
Thanatos or Death Drive
Libido Impulses
Ego Impulses
Death and Aggression Impulses
Guided by Pleasure Principle
Guided by Reality Principle
Guided by Nirvana Principle
Expressed by Self love, love of others uninhibited pursuit of pleasure
Expressed by Destructiveness toward others and toward self
Expressed by Satisfying needs of the body in a socially approved manner. Use of sublimation and repression
Located in the Unconscious
Located in the Conscious and Unconscious
Located in the Unconscious
Represented by the Id
Represented by the Ego and Superego
Represented by the Id
इरोज और थैनटॉस दोनों मूल प्रवृत्तियों के सन्दर्भ में महत्त्वपूर्ण बात है कि फ्रायड ने इनकी स्वतंत्र सत्ता स्वीकार नहीं की। उन्होंने माना कि उनमें सतत उभयभाव बना रहता है।
जैन मान्यता के अनुसार राग की अभिव्यक्ति के समय में व्यक्ति द्वेष चेतना से मुक्त नहीं हो जाता और द्वेष के क्षणों में राग का संस्कार समाप्त नहीं होता, भले अपने चर्म चक्षुओं से हम इस सच्चाई को पकड़ सकें अथवा न पकड़ सकें।
लेश्या भी जब तक कषाय चेतना से जुड़ी रहती है तब तक रागद्वेषात्मक संस्कारों का संचालन करती रहती है। व्यक्ति कभी प्रियता में जीता है और कभी अप्रियता में जीता
1. James D. Page, Abnormal Psychology, P. 186
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