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________________ 58 लेश्या और मनोविज्ञान व्यक्ति के चेतन अनुभवों के नीचे भी कई स्तर हैं। ये स्तर मनोवैज्ञानिक की अपेक्षा जैविक अधिक हैं और हमारे व्यवहार को प्रभावित करते हैं। फ्रायड के अनुसार मन के तीन स्तर हैं - चेतन (Conscious), अवचेतन (Preconscious) और अचेतन (Unconscious)। व्यक्ति को जिन इच्छाओं, विचारों या घटनाओं की वर्तमान में चेतना रहती है, वे सभी उसके चेतन मन के विषय रहते हैं। अवचेतन मन उन सतही स्मृतियों व इच्छाओं का भण्डार है जिनका ज्ञान व्यक्ति को वर्तमान में नहीं रहता, पर कोशिश करने पर उसकी चेतना हो जाती है । अचेतन मन उन दमित हुए विचारों, भावनाओं और आवेगों का संग्रहालय है जिसकी चेतना व्यक्ति में न तो वर्तमान में रहती है और न कोशिश करने पर ही साधारणतः जिसकी चेतना हो पाती है। चेतन तथा अवचेतन की सामग्री आन्तरिक रूप से स्थिर, अस्थायी रूप से व्यवस्थित तथा बाह्य घटनाओं के अनुकूल बनने में सक्षम है। अचेतन मन समय की सीमा से परे, अव्यवस्थित, शिशुवत् अविकसित तथा आदिमकालीन होता है । इसका वास्तविकता से कोई वास्ता नहीं होता यानी कि समाज के नियमों आदि से इसका कोई संबंध नहीं होता। ____ अचेतन की विषय-सामग्री दो स्रोतों से आती है। एक भाग तो उन आदिमकालीन, आनन्दप्रधान तथा कुछ-कुछ पाशविक विचारों अथवा चेष्टाओं का है जो कभी चेतन नहीं होती है। वे व्यक्ति को उत्तराधिकार में प्राप्त होती हैं। दूसरा स्रोत उन विचारों, स्मृतियों व इच्छाओं का है जो कभी चेतन थी, परन्तु दहलाने वाली व कष्टप्रद होने के कारण जो मन के गहनतम भाग में धकेल दी गई अथवा दमित कर दी गईं। ये बहिष्कृत विचार चेतन स्तर पर वापस न आने पाए, इसका पूरा प्रयास किया जाता है। दोनों प्रकार की अचेतन की सामग्री हमारे चेतन स्तर पर सीधे आने से रोक दी जाती है, क्योंकि इससे कोमल भावनाओं को दुःख अथवा आत्म-सम्मान को चोट पहुंचती है। अचेतन कभी भी प्रसुप्त नहीं रहता। यह गहरी नदी में भयंकर वेगवान तथा कीचड़मय भंवर-जाल की तरह सदा ऊपर के साफ जल के तत्त्वों तथा प्रवाह पर गहरा प्रभाव डालता है। स्वप्न, सम्मोहन, दैनिक जीवन की मनोविकृतियां, निद्रा, भ्रमण आदि अचेतन के अस्तित्व को सिद्ध करते हैं। अचेतन की जो इच्छाएं अधिक जटिल नहीं होतीं, उनकी अभिव्यक्ति तो स्वप्न, अत्यन्त प्रच्छन्न कल्पनाएं, आन्तरिक संघर्ष आदि के माध्यम से हो जाती हैं। लेकिन ज्यादा जटिल और पूर्णतः दमित इच्छाओं की अभिव्यक्ति इतनी सरलता से नहीं हो पाती। ऐसी इच्छाएं चेतना के अवरोधक (Censor) को कमजोर बना देती है और कभी-कभी अवरोधक ढीला पड़ जाता है। अचेतन की दीवारें टूट जाती हैं और उनमें से अनैतिक विचार व व्यवहार अभिव्यक्त होने लगते हैं। इस सन्दर्भ में फ्रायड द्वारा किए गए व्यक्तित्व के तीन भाग इदम् (Id), अहम् (Ego) तथा पराअहम् (Super-ego) भी अपने आप में महत्त्वपूर्ण हैं । इदम् अचेतन का प्रतिनिधि है। यह अनैतिक, तर्कशून्य, दिक्काल की सीमा से मुक्त, सुखैषणावृत्ति से शासित, दमित Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003048
Book TitleLeshya aur Manovigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size11 MB
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