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________________ 10 लेश्या और मनोविज्ञान अल्पबहुत्व आदि कई विषयों पर लेश्या का वर्णन किया गया है। लेश्या की दी गई परिभाषाओं पर उत्तरवर्ती साहित्य में आचार्यों ने विस्तृत चर्चा की है। इन सभी सन्दर्भो में आचार्यों की अपनी-अपनी मान्यताओं की सटीक समीक्षा भी उपलब्ध है। प्राचीन साहित्य में लेश्या के गूढ तथ्य सूत्रात्मक शैली में गुम्फित हैं । प्रस्तुत अध्याय में उनकी प्रस्तुति मनोवैज्ञानिक अध्ययन के व्याख्या-सूत्र बनने में सहयोगी बने, इस दृष्टिकोण से प्रथम अध्याय को सैद्धान्तिक परिप्रेक्ष्य में उल्लिखित किया गया है। मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में लेश्या __लेश्या और मनोविज्ञान दोनों ही जीव के भाव, विचार, आचार एवं व्यवहार की व्याख्या प्रस्तुत करते हैं परन्तु मनोविज्ञान की अपेक्षा लेश्या आचरण के मूल स्रोत की खोज करती है। लेश्या सिद्धान्त और मनोविज्ञान के अध्ययन के समन्वित प्रयास से ज्ञान के क्षेत्र में विकास की अनेक संभावनाएं उजागर हो सकती हैं। लेश्या के गूढ़ तत्वों को मनोविज्ञान की भाषा में प्रस्तुत किया जाए तो ये सरल और सहज बोधगम्य हो सकते हैं जिससे जीवन रूपान्तरण के अनेक आयाम खुलते नजर आयेंगे। इसी तरह लेश्या सिद्धान्त से जुड़कर मनोविज्ञान यदि अपनी अवधारणाओं, मान्यताओं और परीक्षण विधियों को और अधिक खुला मैदान दे सके तो वह व्यक्तित्व निर्माण की दिशा में एक सार्थक उपलब्धि प्रस्तुत कर सकता है। ___मनोविज्ञान सिर्फ वर्तमान से जुड़े जीवन की व्याख्या करता है। लेश्या सिद्धान्त जीवन और जीव दोनों की मीमांसा करता है। जीवन का संबंध जन्म से मृत्यु तक है जबकि जीव जन्म-जन्मान्तरों के कृतकों के संस्कारों की एक दीर्घ परम्परा है। इसलिए जीव की व्याख्या अचेतन से भी अधिक सूक्ष्म और गहरी कही जा सती है। लेश्या स्थूल शरीर और सूक्ष्म शरीर के बीच का सम्पर्क-सू- है। व्यक्तित्व का रूपान्तरण, वृत्तियों का शोधन और व्यवहार परिष्कार संयो । है - कैसे होता है अच्छे-बुरे संस्कारों का संकलन ? कौन देता है भात्राचर ---- की प्रेरणा ? कैसे सम्भव है व्यक्तित्व का रूपान्तरण ? ऐसे कई प्रश्नों के समाधान त हमें सूक्ष्म शरीर तक पहुंचना होगा। सूक्ष्म शरीर की व्याख्या को आज की भाषा में (Depth Psychology) गहन मनोविज्ञान कहा जा सकता है। लेश्या की मनोवैज्ञानिक व्याख्या के सन्दर्भ में फ्रायड की गहन मनोविज्ञान की अवधारणा बहुत ही महत्वपूर्ण है। उनका मानना था कि चेतन अनुभवों के नीचे भी कई स्तर हैं। ये स्तर मनोवैज्ञानिक की अपेक्षा जैविक अधिक हैं और हमारे व्यवहार को प्रभावित करते हैं। इसी संदर्भ में फ्रायड ने 'अचेतन मन' को पकड़ा। यह मन का वह अज्ञात भाग है जिसे सामान्यतः जाना नहीं जा सकता। अचेतन मन को स्वप्न, सहना स्मृति आदि मनोविश्लेषणात्मक विधियों द्वारा ही जानना संभव है। ___ जैन-दर्शन में सूक्ष्म शरीर की व्याख्या के सन्दर्भ में चित्त, लेश्या, कषाय और अध्यवसाय की चर्चा मिलती है । हमारी स्थूल एवं सूक्ष्म चेतना तीन स्तरों पर काम करती है: Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003048
Book TitleLeshya aur Manovigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size11 MB
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