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________________ 134 लेश्या और मनोविज्ञान नाम शरीर रचना चित्त प्रकृति 1. एण्डोमार्फिक | पेट बड़ा, पाचन - 1. विसेरोटोनिक (Endomorphic) / Hae fanfart (Viserotonic) का शिकार आरामपसन्द, भोजनप्रेमी, प्यार पाने के इच्छुक, निद्रालु, परावलम्बी। | 2. मेसोमार्फिक | हड्डियां सुडौल | 2. सोमेटोटोनिक शैल्डन | (Mesomorphic) | मजबूत एवं । (Somatotonic) (Sheldon | सुगठित कर्मठ, स्पष्ट, प्रतियोगी W.H.) स्वभाव, शक्तिशाली, शरीर रचना साहसी, अधिकार, प्रिय एवं स्वभाव बुलन्द आवाज वाले। 3. एक्टोमार्फिक | हड्डियां लम्बी, | 3. सेरीब्रोटोनिक (Ectomorphic) कोमल शारीरिक (Cerebrotonic) बनावट, कमजोर संयमी, संकोची, संवेदनशील भावनाओं को दबाने वाले, एकान्तप्रिय, धीरे बोलने वाले, सुखद नींद सोने वाले नाड़ी ग्रंथि संस्थान ___ अन्तःस्रावी ग्रंथि संस्थान और नाड़ी संस्थान - ये दो शरीर के प्रमुख नियंत्रक एवं संयोजक तंत्र हैं। इन दोनों तंत्रों के बीच क्रिया-कलापों का विलक्षण पारस्परिक अनुबन्ध है। दोनों मिलकर सर्वांगीण रूप से शरीर यंत्र को संचालित करते हैं। नाड़ी तंत्र और ग्रंथि तंत्र के अवयवों को एक अखण्ड तंत्र के ही अंगरूप माना जाने लगा है। इन्हें संयुक्त रूप में नाड़ी-ग्रंथि संस्थान (न्यूरो एण्डोक्राइन सिस्टम) की संज्ञा दी गई है। अन्त:स्रावी ग्रंथि संस्थान अपने कार्यों का निष्पादन रासायनिक नियंत्रक स्रावों (हार्मोन) के माध्यम से करता है। अन्तःस्रावी ग्रन्थियां अपेक्षाकृत छोटी एवं नलिका विहीन होती हैं । इनके स्राव सीधे खून में मिलते हैं । रक्त प्रवाह के माध्यम से वे पूरे शरीर में प्रवाहित होते हैं और उत्पत्ति स्थान से सुदूर स्थानों तक अपना कार्य कर सकते हैं। स्राव के कम या अधिक मात्रा में खून में मिलने से कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003048
Book TitleLeshya aur Manovigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size11 MB
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