________________
120
लेश्या और मनोविज्ञान
लिण्डा-क्लार्क अपनी पुस्तक 'द एन्सीएन्ट ऑर्ट ऑफ कलर थेरेपी' में लिखती हैं कि यदि कोई व्यक्ति भयभीत या हतोत्साही है तो उसकी ओरा में रंग धुंधले होंगे और स्वस्थता विकिरित हो रही है तो रंग स्पष्ट होंगे। यदि क्षमता निम्न है तो रंग हल्के होंगे और यदि शक्ति उच्च है तो रंग चमकदार होंगे। भावों के साथ जुड़ा आभामण्डल
रंग आन्तरिक स्तरों की सच्ची भाषा है। आभामण्डल रंगों की भाषा में पहचाना जाता है, क्योंकि सूक्ष्म शरीर से निकलने वाली विकिरणें रंगीन होती हैं, इन्हीं रंगों के माध्यम से आभामण्डल की गुणात्मकता तथा प्रभावकता जानी जाती है। दो व्यक्तियों का आभामण्डल एक जैसा नहीं होता है, क्योंकि किसी का भी स्वभाव, विचार और आदतें सदा एक जैसी नहीं होतीं। भावलेश्या प्रतिक्षण बदलती रहती है, इसलिये आभामण्डल भी बदलता रहता है।
कौन-सा आचरण/भाव, कौनसे रंग के साथ कैसा आभामण्डल निर्मित करता है, इसे मनोवैज्ञानिक आधार पर समझा जा सकता है। जैन दर्शन लेश्या की व्याख्या में कहता है कि कृष्ण, नील और कापोत रंग प्रधान ओरा मनुष्य की दूषित मनोवृत्तियों को दर्शाता है। तेज, पद्म और शुक्ल लेश्या के रंग-प्रधान आभामण्डल मनुष्य की अच्छी मनोवृत्ति को दर्शाता है । इस सन्दर्भ में आधुनिक मनोवैज्ञानिकों ने भी आभामण्डल के साथ जुड़े व्यक्तित्व का रंगों के साथ विश्लेषण करने का प्रशंसनीय प्रयास किया है।
लीडबीटर 'मैन विजिबल एण्ड इनविजिबल' में सूक्ष्मशरीरों में उभरने वाले रंगों की विभिन्न छवियों द्वारा मनुष्य का चरित्र कैसे बदलता है, इस विषय में लिखते हैं कि सूक्ष्म शरीर के चारों ओर घिरा अण्डाकृति में उभरता काला रंग घृणा, प्रतिशोध और द्वन्द्व का प्रतीक है। काली पृष्ठभूमि पर सहसा प्रकाशित लाल रंग क्रोध को दर्शाता है। यदि क्रोधावस्था स्वार्थपरक है तो लाल रंग के साथ ब्राउन रंग का प्रभाव सामने आएगा। यदि घमण्ड है तो संतरइ रंग की छाया होगी। ऐन्द्रिय सुखों और विकृत वासनाओं का दर्शक गहरा कत्थई रंग है।
जंग-सा भूरा रंग धनलिप्सा और लालच का प्रतीक है। भूरा रंग ईर्ष्या दर्शाता है। नारंगी रंग गर्व और महत्त्वाकांक्षा की ओर इंगित करता है । सूक्ष्म शरीर में पीले रंग की उपस्थिति, बुद्धिमत्ता, अन्तरप्रज्ञा की परिचायक है। निम्न और स्वार्थभरी बुद्धिमत्ता की स्थिति में पीले के साथ कुछ कालिमा भी उभर आती है। उच्च प्रज्ञा की स्थिति में यह रंग स्वर्ण की भांति चमकदार और नींबू जैसा हो जाता है। ___ हरा रंग प्रारम्भ में बुराई और धोखा देने वाला होकर अन्ततः संवेदनात्मक, सहानुभूतिपूर्ण बन जाता है। नीला रंग धार्मिकता का सूचक है। हल्का नीला या नीला काला त्याग और श्रेष्ठ मानवीय भावनाओं की ओर इंगित करता है । आध्यात्मिक गुणों की पराकाष्ठा में यह रंग चमकदार हो जाता है।
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org