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________________ लेश्या और आभामण्डल 119 आभामण्डल जड़-चेतन सभी पदार्थों में होता है पर पदार्थ और प्राणी के आभामण्डल में बहुत अन्तर है। पदार्थ का आभामण्डल स्थिर, भद्दा और निष्क्रिय होता है जबकि प्राणी का आभामण्डल भावों में आने वाले बदलाव के साथ प्रतिक्षण बदलता है। आदमी जब मरता है तो उसकी आत्मा निकलती है, उस समय स्वाभाविक रूप से उसका आभामण्डल भद्दा हो जाता है, क्योंकि आभामण्डल आत्मा के प्रकम्पनों को प्रतिबिम्बित करता है। जैनसूत्रों में चेतनाशील प्राणी का एक लक्षण लेश्या बतलाया गया है। रंग विज्ञान का मत है कि विभिन्न भावदशाओं में विभिन्न रंगों की हजारों छवियां एक दूसरे में समाकर कई नयी छवियों की सृष्टि करती है। आभामण्डल में रंगों की छाया का अपना विशिष्ट महत्त्व होता है। "द सेवेन कीज टू कलर हीलिंग' में लिखा है कि संसार में रंग की 6000 से भी अधिक छवियां हैं। ब्रिटिश रंग कॉन्सिल, जिसका अपना केटलॉग (विषय-सूची) है, उसमें नीले रंग की 1400, ब्राउन की 1375, लाल की 1000, हरे की 820, नारंगी की 550, ग्रे रंग की 500, बैंगनी की 360 और सफेद की 12 छवियां बताई गयी हैं। __जैन आगमों में वर्ण और छाया में अन्तर बताया गया है। वर्ण निरन्तर साथ रहने वाला है। छाया (आभा) सबमें नहीं होती। कुछ लोगों में होती है और कुछ लोगों में नहीं होती। वर्ण और छाया में यही अन्तर है। रंग गर्म/ठण्डा, उत्तेजक/तनाव मुक्ति देने वाला, चमकदार/धुंधला, प्रसन्नता भरने वाला/विक्षिप्त करने वाला होता है। इसी तरह लेश्या के शुभ-अशुभ वर्गों के सन्दर्भ में भी यह नियम ग्राह्य है कि लेश्या शुद्ध/अशुद्ध, प्रशस्त/अप्रशस्त, शीत/उष्ण, मनोज्ञ-अमनोज्ञ कई रूपों में होती है। ___ मनुष्य के बदलते स्वभाव के साथ रंग भी भिन्न-भिन्न हो जाते हैं । रंग असंख्य रूपों में अभिव्यक्त होते हैं। विचार, संवेग, इच्छा, भावना के साथ तारामण्डलीय शरीर में बदलाव आता है। यदि तारामण्डलीय आभामण्डल का दूसरे सूक्ष्म शरीरों के साथ सामंजस्य होता है तो वह चमकदार लगता है और असन्तुलित होता है तो काला, धुंधला, धब्बेदार दीखने लगता है। निम्न प्रकृति वालों की ओरा में रंग अस्त-व्यस्त, धुंधले और भद्दे होते हैं । श्रेष्ठ प्रकृति वालों की ओरा में रंग चमकदार, उच्च, प्रकम्पन्न वाले और स्पष्ट दिखाई देते हैं। 1. Edger Cayce. Auras, p.5%B 2. ठाणं 10/18 3. Ronald Hunt, the Seven Keys to Colour Healing. An Exhaustive Survey Compiled by Health Research. Colour Healing. p. 67 4. सूत्रकृतांगसूत्र, चूर्णि पृ. 327 5. Ronald Hunt. The Seven Keys to Colour Healing. An Exhaustive Survey Compiled by Health Research, Colour Healing, p. 67 Alex Jones. Seven Mansions of Colour. p. 96 7. प्रज्ञापना 17/138 (उवंगसुत्ताणि, खण्ड 2, पृ. 234) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003048
Book TitleLeshya aur Manovigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size11 MB
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