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लेश्या और मनोविज्ञान
1. तारामण्डलीय शरीर (Astral Body) 2. मानसिक शरीर (Mental Body) 3. कारण शरीर (Causal Body)
पहला शरीर भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित करता है, जिसमें बहुत से परिवर्तन होते रहते हैं । दूसरा पहले की अपेक्षा अधिक गहन व स्वभाव से स्थायी होता है तथा तीसरे शरीर की साम्यता कुछ सीमा तक आत्मा से की जा सकती है। उनका मानना है कि इन शरीरों में से निकलने वाले प्रकाश के रंग को कुछ अनुभवी संवेदनशील चिकित्सक ही देख सकते हैं।
थॉट फार्मस में लिखा है कि जिसे हम आभामण्डल कहते हैं, यह उच्च शरीरों का बाह्य हिस्सा है जो बादल जैसे पदार्थ से निर्मित है और एक दूसरे में प्रवेश करता है तथा भौतिक शरीर की सीमाओं से परे फैला होता है। उन्होंने बताया कि मानसिक और तारामण्डलीय शरीर का मुख्य संबंध विचार/चिन्तन से है।
भौतिक, मानसिक और कारण शरीरों पर आभामण्डल का रूप, रंग, आकार, चमक और गुणात्मक स्तर निर्भर करता है, क्योंकि आभामण्डल सूक्ष्म शरीर का विकिरण है। रोनाल्ड हन्ट (Ronald Hunt) मानते हैं कि आभामण्डल का निर्माण करने वाली चुम्बकीय व विद्युतीय विकिरणें मनुष्य के सूक्ष्म शरीर से निकलती हैं। इस आभामण्डल से निकलने वाले रंग प्रकम्पन पूर्णरूप से आत्मा के अनुभवों को प्रकट करते हैं। .. ___ ऑसले (Ouseley) का भी कहना है कि आभामण्डल मनुष्य के चरित्र, भावात्मक प्रकृति, मानसिक योग्यता, स्वास्थ्य की स्थिति तथा आध्यात्मिक विकास को दर्शाने वाला है। रंगों की अनेक छवियां (Shades) ___आभामण्डल की व्याख्या रंगात्मक है। जिसमें लेश्या होती है, उसका आभामण्डल निश्चित रूप से शुभ-अशुभ भावों के साथ बदलता है। यह बदलाव अच्छा है या बुरा, प्रिय है या अप्रिय, यह जानने के लिये रंगों की भाषा जानना जरूरी है। __ रंग मनुष्य के भाव के साथ बदलते रहते हैं। रंगों की छवियों के साथ व्यक्तित्व के आचरण निश्चित किए जाते हैं।
दो शब्द हैं - भामण्डल (Hallow) और आभामण्डल (Aura)। अवतारों, तीर्थंकरों और महापुरुषों के चित्रों में सिर के पीछे पीले रंग का गोलाकार-सा चक्र देखने में आता है। यह भामण्डल है जो कि विशिष्ट विकसित चेतना में अभिव्यक्त होता है।
1. S.J. Singh. New Horizons In Chromotherapy. p. 68 2. Annie Besant and C. W. Leadbeater. Thought-Forms, p. 6.7 3. Ronald Hunt, Fragrant and Radiant Healing Symphony. An Exhaustive Survey
. Compiled by Health Research. Color Healing. p. 60 4. S.G.J. Ouseley. The Power of the Rays. p. 24
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