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लेश्या और आभामण्डल
प्रकट करता है । अतः कषाय की तीव्रता / मन्दता पर आभामण्डल की उज्ज्वलता / मलिनता निर्भर करती है। इसी प्रकार योगों की स्थिरता और चंचलता पर प्राणऊर्जा का संचय और व्यय आधारित है । संक्षेप में कहा जा सकता है कि आभामण्डल दो प्रकार की ऊर्जा का संयुक्त विकिरण करता है
1. चैतन्य द्वारा प्राणऊर्जा का विकिरण
2. भौतिक शरीर द्वारा विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा का विकिरण
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प्राणऊर्जा के विकिरण का आधार व्यक्ति की भावधारा ( आत्म परिणाम) बनती है और विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा पौद्गलिक है, आभामण्डल का संस्थान इससे निर्मित होता है।
आभामण्डल मनुष्य जीवन का एक जीता-जागता नक्शा है। यह मन और आत्मा का रंगीन चार्ट है। इसमें व्यक्ति के चिन्तन, मनोदशाएं, भावनाएं और व्यवहार अभिव्यक्त होते हैं, क्योंकि मन और आत्मा एकात्मक न होते हुए भी इस तरह से परस्पर संबंधित हैं कि यदि एक में कोई परिवर्तन होता है तो दूसरा उससे अप्रभावित नहीं रहता ।
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सूक्ष्म चेतना के स्तर
रहस्यवादी वैज्ञानिकों का भी मानना है कि आभामण्डल का सूक्ष्म शरीर के साथ गहरा संबंध है। रहस्यवादी विज्ञान ने आभामण्डल को सूक्ष्म चेतना के सात स्तरों पर व्याख्यायित किया है। ऑसले (Ouseley) ने अपनी पुस्तक "द पाउर ऑफ द रेज" में रहस्यवादी वैज्ञानिकों का दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए बताया कि वे मानसिक और आध्यात्मिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए मनुष्य को सात धरातलों पर विश्लेषित करते हैं। :
1. शारीरिक भौतिक स्तर (Physical-Etheric Plane)
2. तारामण्डलीय स्तर (Astral Plane)
3. निम्न मानसिक स्तर (Lower Mental Plane)
4. उच्च मानसिक स्तर (Higher Mental Plane)
5. आध्यात्मिक कारण स्तर (Spiritual-Causal Plane)
6. अन्तर्ज्ञानात्मक स्तर (Intuitional Plane)
7. दिव्य अथवा पूर्णता का स्तर (Divine or Absolute Plane)
इनमें प्रथम चार सांसारिक अस्तित्व से संबंधित हैं, शेष तीन अध्यात्म से संबंधित हैं । इस सप्तमुखी प्रकृति की अभिव्यक्ति और उसकी तारतम्यता को दर्शाने वाला आभामण्डल है।
सी. डब्ल्यू. लीडबीटर (C. W. Leadbeater) ने अपनी पुस्तक थॉटफॉर्म्स और मैन विजिबल एण्ड इनविजिबल में तीन प्रकारों के शरीरों का वर्णन किया है :
1. S.G.J. Ouseley, The Power of the Rays, p. 23-24
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