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रंगों की मनोवैज्ञानिक प्रस्तुति
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खोजों से यह ज्ञात हुआ है कि रंग विशेष की तरंग ग्रंथि विशेष को प्रभावित करती है, जैसे - सुप्रसिद्ध रंग चिकित्सक तथा भौतिक शास्त्री डॉ. ब्रनलर (Dr. Brunler) ने रंग चिकित्सा-क्षेत्र में बहुत से प्रयोग किए हैं। उनके अनुसार एक प्रसिद्ध नायिका स्कॉटलैण्ड से लन्दन में उनके पास इलाज के लिए आई। उसकी आवाज बिल्कुल बन्द हो गई थी। अन्य डॉक्टरों ने कहा कि वह लगभग 6 सप्ताह तक स्टेज पर नहीं आ पाएगी। उन्होंने उसके यकृत एवं स्वर तंत्र के स्थान पर पीले नारंगी रंग का प्रयोग किया। उसकी आवाज 40 मिनिटों में सामान्य हो गई।
कोरिन हेलीन (Corinne Heline) ने लिखा है कि रंग बीमारी के उपचार में महत्वपूर्ण है। यह मनुष्य की आयु 10 वर्ष बढ़ा देता है यानी व्यक्ति उस शक्ति का अनुभव करता है जो उसमें 12 वर्ष पूर्व थी। रंग द्वारा किया गया उपचार उम्र से पहले आने वाली वृद्धावस्था और पहले की बीमारी से उत्पन्न मानसिक चिन्ता से व्यक्ति को लाभ पहुंचाता है।
रंग चिकित्सा के क्षेत्र में विविध प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि विभिन्न रंगों का सही प्रकार से प्रयोग करके कई बीमारियों पर नियन्त्रण पाया जा सकता है।
रंग चिकित्सा के साधनों को दो भागों में बांट सकते हैं - 1. भौतिक साधन 2. मानसिक साधन।
भौतिक साधनों में कपड़े का रंग, कमरे का रंग, बाहरी साज-सज्जा आदि सम्मिलित हैं। इसमें मुख्य है सूर्य किरण चिकित्सा । इस चिकित्सा में विभिन्न रंगों के कांच, रंगीन स्क्रीन/प्लेट अथवा रंगीन लैम्प द्वारा सूर्य किरणों को रोगों के शरीर पर जहां जैसी आवश्यकता हो, डाली जाती है।
प्राचीन काल में सूर्य को स्वास्थ्य का स्रोत माना जाता रहा है। शायद अचेतन मन में जमी इसी भावना के कारण लोग सूर्य की पूजा करते रहे हैं। आज भी सूर्य-पूजा और सूर्य-स्नान दोनों ही बहुत प्रचलित हैं। सूर्य किरण चिकित्सा में औषधि को सूर्य किरण एवं विद्युत किरणों द्वारा तैयार किया जाता है। जिस रंग से चिकित्सा करनी हो, उस रंग की कांच की बोतल में पानी भरकर धूप में रखकर सूर्य किरणों से भापित कर दवा तैयार की जाती है। __ रंग द्वारा मालिश करके भी रोग का उपचार किया जाता है। इसमें चिकित्सक पहले हल्के गर्म पानी से हाथ धोता है फिर अपेक्षित रंग की लैम्प की किरणों के आगे हाथ रखता है। फिर तेजी से हाथ मलता है और शरीर के अंग विशेष पर उन हाथों से मालिश करता है।
1. Linda Clark, The Ancient Art of Color Therapy, p. 70 2. Ibid, p, 65, 66
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