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लेश्या और मनोविज्ञान
कि शक्ति का रंग लाल, गर्मी और खुशी का पीला, स्वास्थ्य और प्रचुरता का हरा, अध्यात्म और चिन्तन का नीला, उदासी का भूरा, बुढ़ापे का सलेटी, अति उत्साह और जागरूकता का सफेद और निराशा का काला रंग होता है।'
इसी सन्दर्भ में अमेरिका में सन् 1893 से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अपने मुख्य शैक्षणिक विभागों को दर्शाने के लिए रंग-संकेत निर्धारित किए गए। अभिव्यक्ति के पीछे रंगों का प्रभावक पक्ष जुड़ा हुआ था। धर्मशास्त्र के लिये सिन्दूरी रंग, दर्शनशास्त्र के लिये नीला रंग, कला और साहित्य के लिये सफेद रंग, चिकित्सा के लिये हरा रंग, कानून के लिये बैंगनी रंग, विज्ञान के लिये सुनहरा पीला रंग, इंजीनियरिंग के लिये नारंगी रंग और संगीत के लिये गुलाबी रंग माना गया है। __ जैन साहित्य में भी लेश्या को रंगों की प्रतीकात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया है। आगम साहित्य का प्रसिद्ध कथानक प्रेरणा देने वाला तथा मन की भावदशा का सही चित्रक माना गया है। छह मित्रों ने फलों से लदे वृक्ष को देखा और सभी ने फल खाने की इच्छा जाहिर की। वे वृक्ष के पास पहुंचे और सोचने लगे कि फल कैसे खाएं ? सभी ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
प्रथम ने कहा - हमें जड़ सहित सम्पूर्ण वृक्ष काट देना चाहिए। दूसरे ने कहा - नहीं, वृक्ष की टहनियां काटनी चाहिए। तीसरे ने कहा - नहीं, वृक्ष की शाखा-प्रशाखाएं काटनी चाहिए। चौथे ने कहा - नहीं, फलों से लदी शाखाएं काटनी चाहिए। पांचवें ने कहा - नहीं, सिर्फ पके हुए फलों को ही तोड़ना चाहिए।
छटे ने अन्तिम समाधान दिया - क्या जरूरत है कि हम वृक्ष को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाएं। खाने के लिए पर्याप्त फल जमीन पर बिखरे पड़े हैं, इन्हें खाना ही उचित रहेगा।
चिन्तन यात्रा के ये छह पड़ाव लेश्या की सार्थक व्याख्या करते हैं। आगम प्रथम व्यक्ति को कृष्णलेशी मानता है, क्योंकि उसमें क्रूरता, हिंसा व स्वार्थ के साथ विनाश की भावना निहित है। ऐसा व्यक्ति औरों के अस्तित्व को मिटाकर चलता है। दूसरा, तीसरा, चौथा, पांचवां और छट्ठा व्यक्ति क्रमशः नीललेशी, कापोतलेशी, तेजोलेशी, पद्मलेशी व शुक्ललेशी है। इनमें क्रमशः वृक्ष के अस्तित्व को मिटाने की भावना का अन्त और सहज-सुलभ सामग्री का सन्तोषजनक उपयोग प्रकट होता है। लेश्या के भावों को अभिव्यक्ति देने वाला यह दृष्टान्त स्वयं अपने में महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है।
1. Faber Birren, Colour Psychology and Colour Therapy, p. 141 2. Ibid, p. 173 3. (क) गोम्मटसार, गाथा 506; (ख) आवश्यक सूत्र 4/6 हरिभद्रीय टीका
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