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लेश्या और मनोविज्ञान
गुण सत्व
दोष वायु
तत्व रंग
विशेषता आकाश/वायु नीला/बैंगनी जीवन, प्रकाश, ताजगी,
अच्छाई, नैतिक गुण,
प्रोटॉन तत्त्व लाल/पीला सक्रियता, इलेक्ट्रोन तत्त्व जल/पृथ्वी जामुनी/हरा/ नींद, मन्दता, न्यूट्रॉन तत्त्व
नारंगी
पित्त
अग्नि
तमस
कफ
संसार में जो कुछ भी ऊर्जा रूप है वह सारा रजस का परिणाम है। सारे पदार्थों का स्थायित्व तमस के कारण है और चेतना की जितनी भी अभिव्यक्तियां होती हैं, उनका कारण सत्व है। त्रिदोष त्रिगुणों की शक्तियों के साथ सम्पर्क स्थापित कर बदल जाते हैं। वायु चेतना की अभिव्यक्ति है। पित्त ऊर्जा है। कफ जड़ता है। तीनों का सन्तुलन जीवन है।
रंगों का प्रतीकवाद सौरमण्डल से भी जुड़ा हुआ है। रहस्यवादी मानते हैं कि शरीर और मन सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की कॉस्मिक किरणों से संबंधित है। उनके प्रकम्पनों का प्रभाव सम्पूर्ण जीवन पर पड़ता है। अत: ग्रह, नक्षत्र, राशि, दिन, मास तथा रत्नों के साथ रंगों की प्रतीकात्मक अवधारणा जोड़ी गयी। ___ सात ग्रहों के साथ सात रंगों की चर्चा भी उपलब्ध होती है। सूर्य - लाल, चन्द्रमा - रूपहला चांदी-सा, मंगल - पीला, बुध- हरा, बृहस्पति - नीला, शुक्र - बैंगनी, शनि - जामुनी, राहू - अल्ट्रा वायलेट (पराबैंगनी), केतु - इन्फ्रारेड। ___ इसी के साथ राशियों का उल्लेख भी मिलता है। राशिशास्त्र (ज्योतिष शास्त्र) की मान्यता है कि आकाश में एक ऐसा कक्ष है जहां सूर्य, चन्द्रमा और ग्रह चक्कर लगाते रहते हैं। सूर्य वर्षभर में बारह राशियों की यात्रा कर लेता है। प्रत्येक राशि का अपना एक रंग प्रतीक होता है । फेबर बिरेन (Faber Birren) के अनुसार, मेष - लाल, वृष - हरा, मिथुन - भूरा, कर्क - चांदी-सा, सिंह - सुनहरा, कन्या - रंग-बिरंगा, तुला - हरा, वृश्चिक - सिन्दूरी, धनु - आसमानी नीला, मकर - काला, कुम्भ - सलेटी, मीन - समुद्री नीला। ___ ग्रहों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए रत्नों का प्रभाव भी अचिन्त्य माना गया है। मिस्रवासी और पूर्वी देशों में यह सिद्धान्त विकसित हुआ कि ग्रह शारीरिक, मानसिक,
1. Benoytosh Bhattacharya, The Science of Cosmic Ray Therapy or
Teletherapy, p. 48 2. Ibid, p. 61
3. Faber Birren, Colour Psychology and Color Therapy, p. 12
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