SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रंगों की मनोवैज्ञानिक प्रस्तुति 93 कृष्णलेश्या अशुद्धतम क्लिष्टतम नीललेश्या अशुद्धतर क्लिष्टतर कापोतलेश्या अशुद्ध क्लिष्ट तेजोलेश्या अक्लिष्ट पद्मलेश्या शुद्धतर अक्लिष्टतर शुक्ललेश्या शुद्धतम अक्लिष्टतम विविध उपमाओं के साथ लेश्या-रंग प्रज्ञापना सूत्र में लेश्या के सही रंगों की पहचान हेतु विविध उपमाओं का उल्लेख किया गया है। यद्यपि वर्ण के पांच प्रकार बतलाये हैं किन्तु तारतम्यता की दृष्टि से उसके अनेक स्तर संभावित हैं। प्रज्ञापना में द्रव्यलेश्या के पौद्गलिक पांच वर्णों का उल्लेख है पर इस रंग को जिन उपमाओं से उपमित किया है उन उदाहरणों से यह ज्ञात होता है कि एक रंग के कई स्तर होते हैं। कृष्ण लेश्या का वर्ण काला होता है। यह कालापन वर्षारम्भकालिक मेघ, अंजन (आंखों में आंजने का सौवीरादि काला सुरमा का अंजन नामक रत्न), खंजन (गाड़ी की धुरि में लगा हुआ कीट-औंधन या दीवट के लगा मैल), कज्जल गवल (भैंस का सींग), जामुन का फल, गीला अरीठा, परपुष्ट (कोयल), भ्रमर, भ्रमर-पंक्ति, हाथी का बच्चा, काले केश, आकाशथिग्गल (शरदऋतु के मेघों के बीच का आकाशखण्ड), काला अशोक, काला कनेर, काला बन्धुजीवक (विशिष्ट वृक्ष) से भी ज्यादा कालापन लिये होता है। नील लेश्या का वर्ण नीला होता है । यह नीलापन भृग (पक्षी), भृगपत्र, पपीहा (चास पक्षी), चास पक्षी की पांख, शुक (तोता), तोते की पांख, श्यामा (प्रियंगुलता), वनराजि, दन्तराग (उच्चन्तक), कबूतर की ग्रीवा, मोर की ग्रीवा, हलधर (बलदेव) का (नील) वस्त्र, अलसी का फूल, वण (बाण), वृक्ष का फूल, अंजनकेसि का कुसुम, नीलकमल, नील अशोक, नीलकनेर, नीला बन्धुजीवक वृक्ष से भी ज्यादा नील वर्ण वाला होता है। __ कापोत लेश्या का वर्ण कापोती काला और लाल होता है। इसका कापोती रंग खदिर (खेर-कत्था) के वृक्ष का मध्यवर्ती भाग, धमासवृक्ष का सार, ताम्बा, ताम्बे का कटोरा, तांबे की फली, बैंगन का फूल, कोकिलच्छद (तैलकुंटक) वृक्ष का फूल, जवासा का फूल कलकुसुम जैसा होता है। तेजो लेश्या का वर्ण रक्तवर्ण होता है। यह लालिमा खरगोश, मेष (मेढे), सुअर, सांभर और मनुष्य के रक्त जैसी होती है। इन्द्रगोप (वीर बहूटी) नामक कीड़ा, बाल-इन्द्रगोप, बाल सूर्य (उगते सूरज की आभा), सन्ध्याकालीन लालिमा, गुंजा (चिरमी) के आधे भाग की लालिमा, उत्तम हिंगलू, प्रवाल (मूंगे) की अंकुर, लाक्षारस, लोहिताक्षमणि, किरमिची रंग का कम्बल, हाथी का तलवा, चीन नामक रक्तद्रव्य के आटे की राशि, पारिजात फूल, Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003048
Book TitleLeshya aur Manovigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy