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लेश्या और मनोविज्ञान
यह प्रेरणा तथा आध्यात्मिकता का रंग है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से यह हिंसक पागलपन के अतिरेक को शांत करने वाला श्रेष्ठ रंग माना गया है। सामान्य व्यक्ति का क्रोध इसके द्वारा शांत होता है । यह आत्मिक गुण, रहस्यवादिता, आध्यात्मिक प्रेरणा और आदर्शवादिता को उजागर कर मन को प्रेरित करता है। यह संवेदनशील तथा आत्म- जागृत व्यक्तियों द्वारा पसन्द किया जाने वाला रंग है। इसके साथ आध्यात्मिक चेतना, अतीन्द्रियज्ञान और मानसिक संवेदनशीलता का विकास जुड़ा है।
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सफेद और काला रंग
यद्यपि एक भौतिक शास्त्री के लिए सफेद और काला रंग कोई महत्त्व नहीं रखता । उसकी नजर में सफेद का अर्थ है सभी रंगों की उपस्थिति और काले का अर्थ है सभी रंगों की अनुपस्थिति । सफेद रंग सभी रंगों को परावर्तित तथा काला सभी रंगों को शोषित करता है परन्तु मनोविज्ञान की दृष्टि में सफेद और काला दोनों रंग मानसिक संवेदन से जुड़े हैं। इनके प्रतीकात्मक अर्थ होते हैं और इनका प्रभाव स्पष्टतः जीवन में देखा भी जाता है
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सफेद रंग में सभी रंग सन्निहित होने के कारण यह एकता का परिचायक है । इसका दूसरा नाम प्रकाश है। यह पवित्रता, विकास तथा दैविक शक्ति के ज्ञान का प्रतीक है। सफेद रंग की भी कई छवियां होती हैं एवं अपना विशिष्ट अर्थ रखती हैं। मोती जैसा सफेद रंग दयालुता, भद्रता और क्षमा के भाव को दर्शाता है। सीप जैसा सफेद इस ओर संकेत करता है कि आत्मा स्वयं को अनावृत्त करने में चेष्टारत होती है। स्फटिक सफेद आत्मा की पूर्णता की स्थिति को व्यक्त करता है जो कि अत्यन्त दुर्लभ होती है। काला रंग बुराई, भय, , विनाश, भौतिकता तथा निषेधात्मक भावों का प्रतीक माना गया है।
काला रंग दूसरों के प्रभाव से बचाता है। रंग चुनाव के प्रति मनोवैज्ञानिक बहुत जागरूक रहते हैं | जजों और वकीलों के लिए काली पोशाक का चयन बहुत अर्थवान है । यह रंग न्यायाधीशों को अप्रभावित रहने के लिए चुना गया। यदि न्यायाधीश के लिए लाल कपड़े चुने गए होते तो वह औरों की बात कम सुनता और उत्तेजित होकर अपनी बात सुनाना ज्यादा पसन्द करता जबकि ऐसा करना अन्यायसंगत माना जाता है ।
इसी क्रम में गौण रंग छवियों के अर्थ का भी उल्लेख प्राप्त होता है। हल्का स्लेटी भय का, गहरा स्लेटी - रूढ़िवाद और औपचारिकता का, भारी स्लेटी - कल्पना की अल्पता व अर्थहीनता का, भूरा हरा धोखा और दुहरेपन का, भूरा स्लेटी - उदासी का भाव प्रदर्शित करता है। गुलाबी रंग भद्रता, निःस्वार्थता का, चांदनी रंग चपलता, सजीवता व गत्यात्मकता हल्का भूरा रंग व्यावहारिक कुशल मन का, धुंधला स्लेटी भूरा रंग स्वार्थपरता का और स्पष्ट भूरा रंग लोभ का प्रतीक माना गया है।
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रंग मनोविज्ञान में एक ही रंग की विभिन्न छवियों के भिन्न-भिन्न प्रभाव की अवधारणा लेश्या सिद्धान्त में लेश्यागत भावों की तरतमता में खोजी जा सकती है। आगम साहित्य में यह तरतमता इस प्रकार बताई गई है।
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