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________________ २०० / श्रमण महावीर कुछ दिनों बाद उन परिव्राजकों ने गौतम से फिर वही प्रश्न पूछा। गौतम ने उत्तर की भाषा में कहा - 'देवानुप्रियों ! हम अस्ति को नास्ति और नास्ति को अस्ति नहीं कहते हैं । हम सम्पूर्ण अस्ति को अस्ति और सम्पूर्ण नास्ति को नास्ति कहते हैं। इसलिए भगवान् ने उन्हीं के अस्तित्व का प्रतिपादन किया है जिनका अस्तित्व है ।' गौतम का यह उत्तर सुन परिव्राजक मौन हो गए। पर उनके मन का संदेह दूर नहीं हुआ । गौतम भगवान् के पास पहुंचे। उनके पीछे-पीछे परिव्राजक कालोदायी वहां पहुंचा। उस समय भगवान् विशाल परिषद् में धर्म-संवाद कर रहे थे । भगवान् ने कालोदायी को सम्बोधित कर कहा - 'कालोदायी! तुम्हारी मंडली में यह चर्चा चली थी कि श्रमण महावीर पंचास्तिकाय का निरूपण करते हैं। पर जो प्रयत्क्ष नहीं हैं, उन्हें कैसे माना जा सकता है?' कालोदायी ने स्वीकृतिसूचक सिर हिलाते हुए कहा 'भंते! चली थी।' 'कालोदायी ! पंचास्तिकाय हैं या नहीं - यह प्रश्न किसे होता है ?" 'भंते! आत्मा को होता है।' 'क्या आत्मा है ?' 'भंते! वह अवश्य है । अचेतन को कभी जिज्ञासा नहीं होती।' 'कालोदायी ! जिसे तुम आत्मा कहते हो, उसे मैं जीवास्तिकाय कहता हूं ।' 'भंते! यह ठीक है । पर धर्मास्तिकाय और अधर्मास्तिकाय का अस्तित्व कैसे माना जा सकता है ? ' 'मछली जल में तैरती है । तैरने की शक्ति मछली में है या जल में?' 'भंते! तैरने की शक्ति मछली में है, जल में नहीं है। जल उसके तैरने में सहायक बनता है ।' - 'इस प्रकार जीव और पुद्गल की गति में सहायता की अपेक्षा होती है। उसकी पूर्ति जिससे होती है, वह तत्व धर्मास्तिकाय है ।' 'भंते! अधर्मास्तिकाय की क्या अपेक्षा है?' 'चिलचिलाती धूप है । पथिक चल रहा है। एक सघन पेड़ आया। ठंडी छांह देखी और पथिक ठहर गया। उसकी स्थिति में निमित्त बनी छाया । इसी प्रकार जो स्थिति में निमित्त बनता है वह तत्व अधर्मास्तिकाय है ।' 'भंते! तब आकाश का क्या कार्य होगा?" 'आकाश आधार देता है, स्थिति नहीं । गति और स्थिति - दोनों उसी में होते हैं।' 'भंते! फिर पुद्गलास्तिकाय क्या है?' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003046
Book TitleShraman Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages334
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size13 MB
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