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जीवन-विज्ञान शिक्षा का अभिनव आयाम को उपकृत कर नवीन समाज का सृजन कर सकेगा। जीवन-विज्ञान के प्रयोगों के परिणामों से ही पता चल सकेगा कि युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ द्वारा प्रदत्त जीवन-विज्ञान का नवीन आयाम व्यक्ति एवं जगत् को कितना उपकृत कर सकता है। यह भविष्य के गर्भ में ही अंकित है। अभी तो केवल यह आशंसा ही की जा सकती है कि जीव-विज्ञान के प्रयोग शिक्षा जगत् एवं जनता को प्रभावित करें। जीवन-विज्ञान का प्रयोग विद्यालय में
जीवन-विज्ञान का प्रायोगिक परीक्षण राजस्थान शिक्षा विभाग द्वारा तुलसी अध्यात्म नीड्स के तत्त्वावधान में तेरह विद्यालयों में एक हजार से अधिक छात्रों पर राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (दिल्ली) परिणामों को संकलित कर रही है। प्राथमिकी विवरण आशाजनक आया है। सम्पूर्ण रिपोर्ट आने पर शिक्षा क्षेत्र में इसको आगे बढ़ाया जा सकेगा। वैज्ञानिक परिणामों की स्पष्टता से जीवन-विज्ञान के फलित स्वतः स्पष्ट हो जायेंगे।
जीवन-विज्ञान परियोजना का स्वतः अंकन अध्यापक, अधिकारी एवं विद्यार्थियों ने तुलसी अध्यात्म नीड्स को प्रेषित किया है। उसके आधार से यह कहा जा सकता है कि यह परियोजना बालकों, अध्यापकों के व्यक्तित्व निर्माण ओर जीवन विकास में सहभागी बन सकेगी। यदि ऐसा होता है तो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर किसी कल्याणकारी प्रवृत्ति को प्रारंभ न करना श्रेयस्कर नहीं कहा जा सकता। धर्मनिरपेक्षता का तात्पर्य जो उसकी भावना में है सर्व धर्म समभाव, सम्प्रदाय निरपेक्ष सर्व धर्म सद्भाव का अभ्युदय है। जिससे पूर्वाग्रह के बिना व्यक्ति स्वतंत्रतापूर्वक अपने व्यक्तित्व का निर्माण कर सके।
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