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प्रेक्षा जीवन का विज्ञान प्रेक्षा जीवन का विज्ञान है
प्रेक्षा-ध्यान जीवन का विज्ञान है। व्यक्ति को श्वास लेने की क्रिया से लेकर जीवन की समस्त समस्याओं पर रचनात्मक ढंग से समाधान देता है। प्रेक्षा-ध्यान मिथ्या मान्यताओं से और साम्प्रदायिक कट्टरताओ से व्यक्ति को बचाता है प्रेक्षा पद्धति में मानने का आग्रह नहीं है केवल जानने की बात है। जानो और करो। प्रेक्षा-ध्यान शुद्ध प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति एक वैज्ञानिक की तरह प्रयोग में उतरता है उसके परिणामों का साक्षात्कार करता है चाहे वह व्यक्ति किसी मजहब, परम्परा और पूजा-उपासना में विश्वास करने वाला क्यों न हो। प्रेक्षा पद्धति में प्राचीन दार्शनिकों से प्राप्त तत्त्व बोध एवं स्वयं की साधना द्वारा अपने अनुभवों का विश्लेषण है जिसे कोई भी व्यक्ति, कभी भी प्रयोग में लाकर उसकी सत्यता का परीक्षण कर सकता है।
प्रेक्षा में उपासनात्मक क्रिया-कांडों का कोई महत्त्व नहीं है। व्यक्ति अभ्यास में शामिल होकर स्वयं अनुभव प्राप्त कर सकता है। इसमें न रहस्यवाद है न चमात्कारिक शक्ति का संयोग । यह सरल और सहज प्रविधि है। इसमें व्यक्ति स्वयं के शुद्ध अवलोकन से शारीरिक, मानसिक और आन्तरिक शक्ति का अनुभव कर सकता है। यह मात्र संयोग ही नहीं है। आधुनिक वैज्ञानिकों ने बायोफीड-बैक पद्धति से ध्यान के प्रयोगों को वैज्ञानिक स्वरूप दिया है। प्रेक्षा-ध्यान कर्ताओं पर प्रयोगशालाओं में मनोवैज्ञानिकों, डॉक्टरों और अन्य साधनों द्वारा परिणामों की जांच की गई है। उससे प्राप्त निष्कर्ष इस बात का संकेत देते हैं कि ध्यान के समय शरीर में रासायनिक परिवर्तन होता है। मस्तिष्क में अल्फा तरंगें तरंगित होने लगती हैं। अल्फा तंरग सामान्यतः व्यक्ति के मस्तिष्क में उस समय प्रगट होती है जब वह शांत एवं आनंद पूर्ण स्थिति में होता है। युवक, युवतियां प्रेक्षा के प्रयोगों को सरलता से सीख कर मन और भावों को परिष्कृत बना सकते हैं।
प्रेक्षों के इन प्रयोगों को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार देकर भावात्मक एकता स्थापित कर सकते हैं जिसकी राष्ट्र का आज अत्यन्त आवश्यकता है।
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