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शक्ति जागरण की प्रक्रिया : श्वास-प्रेक्षा
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अर्हत् के स्थान पर सद्गुरु जिस दिशा में विराज रहे हैं। उस ओर मुख कर भी प्राण धारा को ग्रहण करने का संकल्प किया जा सकता है। सद्गुरु शक्तिशाली ऊर्जा का केन्द्र हैं। प्राण शक्ति को जागृत करने का यह महत्त्वपूर्ण प्रयोग है। समवृत्ति-श्वास-प्रेक्षा को लयबद्ध करना आवश्यक है। समवृत्ति-श्वास प्रेक्षा में एकलयता, विराम के समय श्वास संयम, श्वास लेने और छोड़ने के मध्य ठहराव की समग्रता से प्रेक्षा करें। शक्ति जागरण की अनेक प्रविधियां हैं। उन सबको एक साथ निरूपित नहीं किया जा सकता। अतः कुछ विधियों की ही यहां चर्चा की गई हैं।
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