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________________ प्रज्ञा की परिक्रमा व्यक्त्यिों पर अजमाया हुआ सिद्ध प्रयोग है। कायोत्सर्ग का पूरा प्रयोग ४५ मिनिट का है। कायोत्सर्ग में समय की कोई अवधि नहीं होती। व्यक्ति अपनी सुविधा के अनुसार कर सकता है। इच्छित परिणाम के लिए कम से कम १५ मिनट तो अवश्य देना होता है। कायोत्सर्ग के प्रशिक्षण के लिए प्रेक्षा-ध्यान शिविर या तुलसी अध्यात्म नीड लाडनूं राज० साधना स्थल से सम्पर्क किया जा सकता है। प्रेक्षा साहित्य, प्रेक्षा-ध्यान, कायोत्सर्ग की कैसेटों से भी जानकारी उपलब्ध की जा सकती है। पाचन-संस्थान पर प्रेक्षा का प्रयोग शरीर में रोग का मुख्य कारण पाचन-संस्थान की गड़बड़ी है। पाचन-संस्थान शरीर में मुख्य अवयव है। जिससे सम्पूर्ण शरीर को शक्ति मिलती है। यंत्र के विकास से मानव जाति को अनेक समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। यंत्रों की आवाज से नाड़ी-संस्थान प्रभावित होता है। पाचन-संस्थान पर भी इनका बुरा असर आता है। यंत्र युग ने मनुष्य को त्वरा दी है। हर कार्य को वह जल्दी-जल्दी पूर्ण करने की कोशिश करता है। किसी भी कार्य को करते समय उसका ध्यान उस पर न रह कर उसके परिणाम अथवा अन्य कार्य पर जाता है। परिणाम यह होता है कि कोई भी काम भावपूर्ण नहीं हो पाता है। भोजन जैसा महत्त्वपूर्ण कार्य जो जीवन संचालन के लिए अनिवार्य है उसे भी इतने अन्यमनस्क भाव से करता है, मानो भोजन न करके उसे किसी टिप्पन में भोजन रख रहा हो। भोजन ही जब भाव-क्रिया से नहीं होता, तब पाचन का काम सम्यक कैसे होगा? पाचन सम्यग नहीं होता तो उसका रासायनिक परिवर्तन ही शरीर के अनुकूल कैसे होगा? जब पाचन और उसका रस नहीं बनेगा तो शरीर का सामर्थ्य विकसित कैसे हो पायेगा? आज बौद्धिक काम करने वाले अधिकतर लोगों की शिकायत रहती है पाचन क्रिया ठीक नहीं। पाचन केवल पाचन से ही संबद्ध नहीं है। उससे अजीर्ण, कब्ज, अतिसार, रक्ताल्पता, कमजोरी शरीर में नाना व्याधियां होने लगती हैं।" पहला प्रयोग दीर्घ श्वास-प्रेक्षा पाचन तंत्र की समस्याओं के समाधान का पहला प्रयोग श्वास-प्रश्वास की क्रिया को ठीक करना है। गहरा लम्बा श्वास लेना, गहरा लम्बा प्रश्वास Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003045
Book TitlePragna ki Parikrama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishanlalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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