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प्रज्ञा की परिक्रमा खेल खेलती रहती है। जिससे अशान्ति के परिणाम फलित होते रहते हैं। अशान्ति विलय के निर्देशित सूत्र हैं सम्यग्-दर्शन, सद्-संकल्प (स्व संयम), जागरूकता,
निर्मलता इन सबका प्राप्ति का मार्ग है-प्रेक्षा, अनुप्रेक्षा, भावना और कायोत्सर्ग।
प्रेक्षा से यथार्थ का साक्षात् होता है, अनुप्रेक्षा साक्षात् हुए तत्त्व को स्पष्टता से स्वीकार करती है। साथ ही पूर्वार्जित संस्कारों का परिष्कार, भावना से यथार्थ में स्थिरता, सम्यग् दृष्टिकोण और जागरूकता उत्पन्न होती है। कायोत्सर्ग से तनाव की गांठ खुलकर निर्मल हो जाती है।
शान्ति के इच्छुक व्यक्ति को प्रेक्षा-ध्यान का प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए, प्रेक्षा-ध्यान प्रविधि एक ऐसा उपक्रम है जिससे व्यक्ति अपने मन को ही नहीं विचार, संस्कार और शरीर को भी प्रशिक्षित कर नवजीवन की यात्रा कर सकता है।
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